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दून से मिला था डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने का सुझाव, पढ़िए पूरी खबर

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने का सुझाव जेएनयू के प्रोफेसर रहे दून निवासी प्रो. धीरेंद्र शर्मा ने वर्ष 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया था।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 09:40 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 09:40 AM (IST)
दून से मिला था  डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने का सुझाव, पढ़िए पूरी खबर
दून से मिला था डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने का सुझाव, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, सुमन सेमवाल। मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने का सुझाव दून से मिला था। यह सुझाव जेएनयू के प्रोफेसर रहे दून निवासी प्रो. धीरेंद्र शर्मा ने वर्ष 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया था। प्रो. धीरेंद्र जितने करीब डॉ. कलाम के थे, उतने ही करीब अटल बिहारी वाजपेयी के भी थे।

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देश के 11वें राष्ट्रपति रहे डॉ. एपीजे कलाम की सोमवार को पुण्यतिथि है। वह आज हमारे बीच नहीं हैं, मगर उनकी यादें, विचार और देशहित में किए गए उनके योगदान हमेशा जिंदा रहेंगे। जेएनयू के प्रोफेसर रहे प्रो. धीरेंद्र शर्मा ने दैनिक जागरण से उन तमाम बातों को साझा किया, जो दून और कलाम को हमेशा जोड़कर रखती हैं। प्रो. धीरेंद्र शर्मा बताते हैं कि डीआरडीओ से रिटायर होने के बाद वर्ष 2001 में वह दून आए थे। 

डॉ. कलाम प्रो. धीरेंद्र की पत्नी निर्मला शर्मा को अपनी धर्म बहन मानते थे। उन्होंने यह कहकर भगवंतपुर स्थित उनके घर आने की बात कही कि शाकाहारी भोजन करने की इच्छा है। निर्मला शर्मा ने उनके लिए भोजन पकाया और उस दिन वह भगवंतपुर में ही रुके। उन्होंने यहां निर्मला के गरीब बच्चों के लिए शुरू किए गए निश्शुल्क स्कूल ‘शिशु चेतना केंद्र’ का उद्घाटन भी किया। तब प्रो. धीरेंद्र शर्मा ने कलाम को बताया कि उन्होंने देश के नए राष्ट्रपति के लिए उनका नाम प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सुझाया है।

यह काम उन्होंने मित्रवत नहीं किया, बल्कि वह उन्हें इस योग्य समझते हैं। इसे संयोग कहें या प्रो. धीरेंद्र का सुझाव कि वर्ष 2002 में डॉ. कलाम को ही राष्ट्रपति बना दिया गया। प्रो. शर्मा बताते हैं कि जिस तारीख को डॉ. कलाम दुनिया छोड़कर चले गए, उसी तारीख को उनकी निर्मला पत्नी का जन्मदिवस भी होता है। डॉ. कलाम की मृत्यु ने निर्मला के मन पर गहरा असर डाला था और वह गहरे सदमे में चली गईं थी। डॉ. कलाम अपने अवसान से सात महीने पहले दून आए थे और उन्होंने अपनी अंतिम पुस्तक ‘बियॉन्ड 20-20’ निर्मला को भेंट की थी। तब उन्होंने यह कहकर विदा ली थी कि अब जाने कब मुलाकात होगी।

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