निजी चीनी मिलों के श्रमिकों को दिया जाएगा न्यूनतम वेतनमान
श्रम मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने चीनी मिल वेतन निर्धारण बोर्ड की बैठक ली। जिसमें फैसला लिया जाएगा कि उनको न्यूनतम वेतनमान दिया जाएगा।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में निजी क्षेत्र की चीनी मिलों के श्रमिकों को न्यूनतम वेतनमान दिया जाएगा। न्यूनतम वेतन व्यवस्था लागू न करने वाली मिलों के खिलाफ श्रम कानूनों के तहत कार्रवाई के साथ ही प्राथमिकी भी दर्ज कराई जाएगी।
श्रम मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में सोमवार को विधानसभा भवन में हुई चीनी मिल वेतन निर्धारण बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक के उपरांत इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए श्रम मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि गन्ना चीनी मिलों में 2016 में श्रमिकों को न्यूनतम वेतन और पुनरीक्षित वेतन का फैसला किया गया। इस बारे में शासनादेश भी हुआ, जिसके अनुपालन में सरकारी चीनी मिलों ने तो एक अक्टूबर 2015 से बढ़ा वेतन लागू कर दिया, मगर निजी चीनी मिलों ने इसे लेकर आनाकानी की। बाद में निजी चीनी मिल संचालक हाईकोर्ट चले गए।
डॉ.रावत के अनुसार इस बीच गन्ना विभाग ने बीती 12 जून को 2016 का आदेश स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया। इसे लेकर सरकारी मिलों के कर्मचारी कोर्ट चले गए। कोर्ट ने इस पर स्थगनादेश दिया हुआ है। अलबत्ता, निजी चीनी मिलों के मामले में कोर्ट ने 2016 के शासनादेश के संबंध में कोई रोक नहीं लगाई है। लिहाजा, निजी मिलों को इसी शासनादेश के अनुसार न्यूनतम वेतन और पुनरीक्षित वेतन देना होगा। इसे सख्ती से लागू करने के लिए निर्देशित किया गया है। श्रम मंत्री के अनुसार व्यवस्था दी गई कि निजी चीनी मिलों में उपलब्ध बजट के तहत सबसे पहले छोटे कर्मियों को एरियर दिया जाएगा। इसके बाद ऊपर के कार्मिकों को।
उन्होंने कहा कि जो निजी चीनी मिलें बोर्ड के फैसलों की अनदेखी करेंगी, उनके संचालकों व प्रबंधन के खिलाफ श्रम कानूनों के तहत कार्रवाई होगी। जरूरत पड़ने पर मुकदमे भी दर्ज कराए जाएंगे। इससे पहले, बैठक में सरकारी व निजी चीनी मिलों के प्रबंधन और कर्मचारी संगठनों ने अपने-अपने तर्क रखे।
कड़ाई से हो श्रम कानूनों का अनुपालन
श्रम मंत्री ने कहा कि राज्य की सभी औद्योगिक इकाइयों व प्रतिष्ठानों, होटल, अस्पताल आदि में कार्यरत कर्मियों को न्यूनतम वेतनमान की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए श्रमायुक्त को निर्देशित किया गया है। यह भी कहा कि यदि कोई संस्थान इसमें हीलाहवाली बरतता है तो उसके खिलाफ श्रम कानूनों के तहत कार्रवाई की जाए।
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