मंच ने रोस्टर का किया समर्थन तो फेडरेशन ने विरोध
प्रदेश की सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती में आरक्षण के रोस्टर को लेकर कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में बैठक हुई।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश की सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती में आरक्षण के रोस्टर को लेकर कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में उत्तराखंड सामान्य वर्ग के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने नए रोस्टर का समर्थन करते हुए इसमें किसी प्रकार का बदलाव न करने की बात कही। एसोसिएशन ने कहा कि अब शासनादेश में किसी तरह का बदलाव स्वीकार नहीं किया जाएगा। वहीं, उत्तराखंड एसटी-एससी इंप्लाइज फेडरेशन ने पूर्व व्यवस्था के अनुसार अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों को पहले स्थान पर रखने की पैरवी की। उन्होंने कहा कि यदि नई व्यवस्था लागू की गई तो कम पद सृजित होने की स्थिति में अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों को नुकसान उठाना पड़ेगा।
मंगलवार को कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में सीधी भर्ती में रोस्टर के संबंध में कर्मचारी संगठनों से अलग-अलग वार्ता की गई। सामान्य वर्ग के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अब कर्मचारी किसी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे। पहले की व्यवस्था पर अनुसूचित जाति के लोगों को जो पद अधिक मिले हैं उसकी भी स्क्रीनिंग की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में तो पदोन्नति में आरक्षण के आधार पर पदोन्नत किए गए कार्मिकों को वापस मूल पदों पर भी भेजा गया है। ऐसी ही व्यवस्था प्रदेश में भी की जाए। उन्होंने कहा कि यदि अब रोस्टर में कोई बदलाव किया गया तो कर्मचारी सड़कों पर उतरेंगे।
प्रतिनिधिमंडल में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष ठाकुर प्रहलाद सिंह, कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडेय, सामान्य-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी, प्रांतीय महामंत्री वीरेंद्र सिंह गुसाई, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संघ के महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट, सचिवालय संघ के महासचिव राकेश जोशी आदि शामिल थे।
एससीएसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने कहा कि उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही व्यवस्था में छेड़छाड़ ठीक नहीं है। बीते वर्ष फरवरी में तब आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसद आरक्षण दिया गया तब भी अनुसूचित जाति के लोगों को पहले ही स्थान पर रखा गया। अचानक ऐसा क्या हुआ कि सरकार को रोस्टर में बदलाव करना पड़ा। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी को पहले स्थान पर रखने से सामान्य वर्ग को कोई असर नहीं पड़ रहा है। अगर इसे हिमाचल की तर्ज पर किया जा रहा है तो उत्तराखंड और हिमाचल में कोई तालमेल नहीं है। ऐसे में मामले को उलझाने का प्रयास न किया जाए। वर्ष 2021 में फिर से जनगणना होनी है तब तक रोस्टर की पुरानी व्यवस्था को यथावत रखा जाए।
फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल में प्रांतीय अध्यक्ष करम राम, विधि सलाहकार व रिटायर जज कांता प्रसाद, पूर्व अधिकारी वाइएस पांगती और फेडरेशन के सचिवालय शाखा के अध्यक्ष वीरेंद्र पाल सिंह शामिल थे। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि दोनों पक्षों को सुना गया है और उनका पक्ष ले लिया गया है। अब जल्द ही अधिकारियों के साथ बैठकर इस विषय पर निर्णय ले लिया जाएगा।