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यहां आयुष कॉलेजों को ढूंढ़े से भी नहीं मिल रहे हैं छात्र, जानिए

उत्तराखंड में आयुष कॉलेजों को ढूंढ़ने से भी छात्र नहीं मिल पा रहे है। यही नजह है कि स्पेशल राउंड के बाद भी कॉलेजों में 498 सीटें खाली रह गई हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 04:20 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 04:20 PM (IST)
यहां आयुष कॉलेजों को ढूंढ़े से भी नहीं मिल रहे हैं छात्र, जानिए
यहां आयुष कॉलेजों को ढूंढ़े से भी नहीं मिल रहे हैं छात्र, जानिए

देहरादून, [जेएनएन]: प्रदेश के आयुष कॉलेजों में छात्रों का अकाल पड़ गया है। हद देखिए कि स्पेशल राउंड के बाद भी कॉलेजों में 498 सीटें खाली रह गई हैं। समस्या यह कि आयुष मंत्रालय ने दाखिले की अंतिम तारीख 15 नवंबर निर्धारित की है। ऐसे में कॉलेज संचालकों के माथे पर बल पड़ गए हैं। 

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आयुष-यूजी में इस बार नीट के स्कोर पर दाखिले किए गए। प्रदेश के सरकारी व गैर सरकारी कॉलेजों में बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस की कुल 1240 सीट (स्टेट कोटा की 675 व ऑल इंडिया मैनेजमेंट कोटा की 565 सीट) भरने के लिए आयुर्वेद विवि की ओर से तीन चरण की काउंसलिंग की। इसके बाद काफी संख्या में सीटें खाली रह गई। उस पर मान्यता न मिलने के कारण कई कॉलेज प्रथम तीन राउंड में काउंसलिंग में सम्मलित नहीं हो सके। इन्हें अब कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत काउंसलिंग में शामिल किया गया है।

रिक्त सीटें भरने के लिए आयुष मंत्रालय ने कुछ रियायत दी। नीट में 35 परसेंटाइल, एससी, एसटी, ओबीसी और दिव्यांग अभ्यर्थियों को केवल 25 परसेंटाइल पर ही दाखिला देने के निर्देश दिए। जिसके बाद स्पेशल काउंसिलिंग आयोजित की गई। जिसमें 612 सीटों पर केवल 114 ही आवंटित हुई हैं।

आयुर्वेद विवि के कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि अभ्यर्थियों को सीटें आवंटित कर दी गई है। दाखिले की अंतिम तिथि 12 नवंबर है। आयुष यूजी और पीजी में दाखिले के लिए मंत्रालय ने 15 नवंबर अंतिम तारीख निर्धारित की है। सीटें खाली रहने के संबंध में मंत्रालय को भी जानकारी दे गई है। 

एम्स प्रवेश परीक्षाओं के लिए अब दो चरण में पंजीकरण 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा देने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए एक अच्छी खबर है। उनकी सहूलियत के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया अब दो चरण में होगी। मूल व अंतिम पंजीकरण। इसके लिए प्रोस्पेक्टिव एप्लिकेंटस एडवास रजिस्ट्रेशन (पीएएआर) की सुविधा शुरू की गई है। एम्स के सहायक परीक्षा नियंत्रक की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा के बाद यह व्यवस्था भविष्य में अन्य परीक्षाओं में भी लागू की जाएगी।

दरअसल, शैक्षिक योग्यता के अलावा अन्य विवरण सही ढंग से न भरने के कारण बड़ी तादाद में अभ्यर्थियों के आवेदन निरस्त होते हैं। एडवास रजिस्ट्रेशन से उन्हें इस समस्या से निजात मिलेगी। परीक्षा में सम्मलित होने के इच्छुक अभ्यर्थी, प्रथम चरण में छह माह पूर्व ही अपना मूल विवरण भरकर फोटो अपलोड कर पाएंगे। त्रुटि सुधार का भी उन्हें पर्याप्त समय दिया जाएगा। पंजीकरण स्वीकार होने पर न केवल इसकी सूचना बल्कि आइडेंटिफिकेशन नंबर भी अभ्यर्थी को दिया जाएगा। इस  आइडेटिफिकेश नंबर पर उसका पूरा डाटा स्टोर होगा। अंतिम समय में अभ्यर्थी पर अनावश्यक दबाव नहीं रहेगा।

खास बात यह कि मूल पंजीकरण के लिए किसी तरह का शुल्क नहीं देना होगा। नोटिस में कहा गया है कि मूल पंजीकरण परीक्षा से एक निश्चित समय पूर्व बंद कर दिया जाएगा। आवेदक जिन्होंने मूल पंजीकरण पूर्ण और इसे स्वीकार कर लिया गया है, यह निर्णय उसका होगा कि वह इस सत्र परीक्षा में सम्मलित होगा या बाद में। अंतिम पंजीकरण की प्रक्रिया में शामिल न होने पर भी उसका डाटा आगे की परीक्षाओं के लिए भी वैध रहेगा। अंतिम पंजीकरण में अभ्यर्थी योग्यता विवरण, परीक्षा केंद्र आदि विवरण भरेगा।

यह अभ्यर्थी एडमिट कार्ड के लिए तभी योग्य होंगे जब परीक्षा संबंधी अर्हता वह पूरी करते हों। एडमिट कार्ड जारी होने के बाद पुन: अगले सत्र के लिए मूल पंजीकरण शुरू कर दिए जाएंगे। इसी तरह साल दर साल इसमें निरंतरता बनी रहेगी। एक बार मूल पंजीकरण स्वीकार होने पर दोबारा इसकी आवश्यकता नहीं होगी। सभी परीक्षाओं में लागू होगी व्यवस्था सहायक परीक्षा नियंत्रक द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि प्रोस्पेक्टिव एप्लिकेंटस एडवास रजिस्ट्रेशन एम्स-एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा-2019 के लिए शुरू की जा रही है। आगे इसे अन्य परीक्षाओं के लिए भी विस्तारित किया जाएगा। 

एमबीबीएस के लिए इसी माह मूल पंजीकरण एम्स-एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा के लिए मूल पंजीकरण नवंबर द्वितीय सप्ताह में शुरू किए जाएंगे। जबकि अंतिम पंजीकरण फरवरी में होंगे। इसके लिए वही अभ्यर्थी योग्य होंगे जो मूल पंजीकरण करेंगे, निश्चित समय में उसकी कमियां दूर करेंगे और उनका पंजीकरण सही व स्वीकार्य होगा।

बलूनी क्लासेज के निदेशक विपिन बलूनी बताते हैं कि कई बार फॉर्म में मामूली गलती के कारण अभ्यर्थी का आवेदन निरस्त हो जाता है। अब दो चरण में पंजीकरण होने से इससे काफी हद तक बचाव होगा। फॉर्म भरने को लेकर बेवजह की आपाधापी भी नहीं रहेगी।

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