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रिजल्ट के बारे में न सोचें छात्र, आगे क्या करना है इसकी बनाएं रणनीति

बारहवीं का परिणाम घोषित होने के बाद अब छात्रों को करियर की चिंता सताने लगी है। उन्हेें आगे क्या करना है इसको लेकर वो बेहद परेशान हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 29 May 2018 08:33 PM (IST)Updated: Wed, 30 May 2018 05:20 PM (IST)
रिजल्ट के बारे में न सोचें छात्र, आगे क्या करना है इसकी बनाएं रणनीति
रिजल्ट के बारे में न सोचें छात्र, आगे क्या करना है इसकी बनाएं रणनीति

देहरादून, [जेएनएन]: साल का वही वक्त अब फिर आ गया जब सैकड़ों छात्र अंकों की भूलभुलैया में खोए हैं। आज प्रतियोगिता के समय में बच्चों के लिए 90 प्रतिशत अंक लाना मानो आम हो गया है। हद ये कि एक तयशुदा मानक से कम अंक आना फेल होने के बराबर ही माना जाता है। उन लाखों युवाओं के बारे में कोई नहीं सोचता जिनको 50-70 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं। मेहनत उन्होंने भी की, पर अच्छे कॉलेज और करियर की राह आसान नहीं है। जिस कारण छात्र तनाव में हैं। सीबीएसई की हेल्पलाइन में वह लगातार फोन घनघना रहे हैं। 

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बारहवीं का परिणाम घोषित होने के बाद अब छात्रों को करियर की चिंता सताने लगी है। प्रतियोगिता के इस दौर में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने वाले छात्रों का आंकड़ा काफी बढ़ गया है, तो ऐसे छात्रों की भी संख्या ज्यादा जिन्होंने कड़ी मेहनत के बाद भी 60 से 80 प्रतिशत तक ही अंक प्राप्त किए हैं। ऐसे बच्चों के लिए करियर का चुनाव काफी कठिन हो जाता है। 

सीबीएसई काउंसलर डॉ. सोना कौशल गुप्ता ने बताया कि करियर को लेकर छात्र लगातार फोन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कॉल करने वाले ज्यादातर वह छात्र हैं जिनके नंबर 60 से 80 प्रतिशत तक आए हैं। वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। डॉ. सोना का कहना है कि एग्जाम में ज्यादा अंक लाना और किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफल होना, दोनों में काफी फर्क है। इसलिए छात्रों को घबराने की जरूरत नहीं है। परीक्षा में कम नंबर आने का यह मतलब नहीं है कि वह प्रतियोगिता में पीछे रह जाएंगे। 

बच्चों एवं अभिभावकों को यह समझना बहुत जरूरी है कि बोर्ड का रिजल्ट जीवन की आखिरी परीक्षा या रिजल्ट नहीं है। जीवन में ऐसी अनेक परीक्षाएं देनी पड़ेगी और अनेक रिजल्ट का सामना करना पड़ेगा। 

बच्चे की नैसर्गिक प्रतिभा पहचानें 

डॉ. सोना के अनुसार माता-पिता और समाज द्वारा अनुचित रूप से बहुत ज्यादा उम्मीदें लगाना युवाओं में तनाव का कारण बनता है। उन्हें ऐसे कई कॉल आ रहे हैं जहां बच्चा कुछ करना चाहता है और मां-बाप उस पर कुछ और करने का दबाव बना रहे हैं। जबकि किसी भी व्यक्ति को अपनी मूल प्रवृत्ति, रुचि और विशेषज्ञता के अनुसार ही कॅरियर का चयन करना चाहिए। हर व्यक्ति में अपनी नैसर्गिक प्रतिभा होती है। उस प्रतिभा को निखरने देना चाहिए। मां-बाप को चाहिए कि बच्चे के कंधे पर हाथ रखें और कहें कि हम तुम्हारे साथ हैं। 

अभिभावकों के लिए सलाह 

-बच्चों से बार-बार रिजल्ट को लेकर चर्चा न करें। 

-भविष्य सुनहरा है, अपार सम्भावनाएं हैं, बच्चे से इस प्रकार सकारात्मक विचार विमर्श करें। 

-कॅरियर को लेकर बातचीत कर सकते हैं कि क्या विकल्प हो सकते हैं। 

-रिजल्ट का पोस्टमॉर्टम न करें, आस-पास या अन्य बच्चों से तुलना न करें। 

-बच्चों को समझाएं कि उनका जीवन अनमोल है व भविष्य में मेहनत करके वह और अधिक सफलता हासिल कर सकते हैं। 

छात्रों को सलाह 

-रुटीन के हिसाब से काम करें, तनाव से दूर रहें। 

-बार-बार रिजल्ट के बारे में न सोचें, आगे क्या करना है इसकी रणनीति बनाएं। 

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