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योगासनों के नाम से जानी जाएंगी स्वर्गाश्रम की गलियां, जानिए

तीर्थनगरी ऋषिकेश को विश्वभर में योगनगरी के रूप में जाना जाने लगा है। अब तक तीन गलियों का नाम कुंडलिनी, हठा और अष्टांग मार्ग रखा जा चुका है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 05:23 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 05:23 PM (IST)
योगासनों के नाम से जानी जाएंगी स्वर्गाश्रम की गलियां, जानिए
योगासनों के नाम से जानी जाएंगी स्वर्गाश्रम की गलियां, जानिए

ऋषिकेश, जेएनएन। तीर्थनगरी को विश्वभर में योगनगरी के रूप में जाना जाने लगा है। इस पहचान को और बढ़ाने के लिए नगर पंचायत जौंक-स्वर्गाश्रम ने लक्ष्मणझूला और स्वर्गाश्रम की गलियों का नाम योग आसनों के नाम पर रखना शुरू कर दिया है। अब तक तीन गलियों का नाम कुंडलिनी, हठा और अष्टांग मार्ग रखा जा चुका है। 

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स्वर्गाश्रम और लक्ष्मणझूला से जुड़े नगर पंचायत जौंक-स्वर्गाश्रम को योग ग्राम के रूप में मान्यता दिए जाने की मांग उठती रही है। अंतरराष्ट्रीय योग सप्ताह सहित पूरे वर्ष भर यहां योग संस्थानों और आश्रमों में योग से संबंधित गतिविधियों का संचालन होता है। दो दिसंबर को नगर पंचायत बोर्ड का शपथ ग्रहण हुआ था। नए बोर्ड को दो माह बीत चुके हैं। नगर पंचायत अध्यक्ष माधव अग्रवाल ने प्राथमिकता के रूप में यहां की गलियों को योग के नाम से पहचान दिलाने का एलान किया था।

यहां करीब मुख्य रूप से 20 गलियां हैं। अब तक तीन गलियों का नामकरण हो चुका है।जिन्हें कुंडलिनी मार्ग, हठा मार्ग और अष्टांग मार्ग नाम दिया गया है। नगर पंचायत की यह भी योजना है कि क्षेत्र के जितने प्रवेश मार्ग है, वहां स्वागत द्वार का निर्माण करा योगियों और ऋषियों की मूर्ति लगाई जाए। जिसके लिए डीपीआर तैयार की गई है। समूचे क्षेत्र में सड़क पर घूमने वाले गोवंश की समस्या ज्यादा विकट हो गई है। इसके लिए निकाय ने स्वर्गाश्रम के श्मशान घाट के समीप गोधाम के लिए भूमि का चयन किया है। जिस पर जिला प्रशासन ने सहमति जताई है। इसके अतिरिक्त लावारिस गोवंश को धार्मिक संस्था द्वारा संचालित गैंडी खाता की गोशाला में शिफ्ट किया जाएगा।

कूड़ा निस्तारण बड़ी समस्या

लक्ष्मणझूला और स्वर्गाश्रम क्षेत्र भौगोलिक दृष्टिकोण से काफी विषम है। इस क्षेत्र के एक तरफ गंगा है दूसरी तरफ पहाड़ी क्षेत्र है ।इसमें भी अधिकतर क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व आरक्षित क्षेत्र में आता है। जिस कारण यहां के विकास कार्य भी प्रभावित होते हैं। विशेष रूप से ट्रेंङ्क्षचग ग्राउंड के लिए यह पर्याप्त भूमि नहीं है। वर्तमान में जिस भूमि का प्रयोग हो रहा है ,उसको लेकर लंबे समय से विवाद था। हालांकि अब यहां दीवार बनाने पर सहमति हो गई है । कम स्थान पर बेहतर कूड़ा निस्तारण के लिए नगर पंचायत ने डोईवाला की तर्ज पर यहां 11 लाख रुपये की लागत से कील वेस्ट मशीन लगाने का निर्णय लिया है ।जिसका आधा खर्च नगर पंचायत और आधा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। इसके अतिरिक्त एक धार्मिक संस्था से दो और मशीनें ली जा रही है।

नगर पंचायत की प्रस्तावित योजनाएं

- आस्था पथ पर जगह- जगह शीघ्र ओपन जिम का निर्माण

- आस्था पथ पर 100 मीटर ऊंचे तिरंगे की स्थापना

- मुनिकीरेती और स्वर्गाश्रम के बीच रोपवे

- क्षेत्र के घाटों पर श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा उपाय

- कुंभ मेला बजट से क्षेत्र में स्वागत द्वारों का निर्माण

- नगर पंचायत के सभी क्षेत्रों में पथ प्रकाश व्यवस्था

माधव अग्रवाल (अध्यक्ष, नगर पंचायत जोंक-स्वर्गाश्रम) का कहना है कि नगर पंचायत आर्थिक रूप से कमजोर है। सीमित संसाधनों से बेहतर व्यवस्था बनाने कि हम कोशिश कर रहे हैं। यहां की प्रत्येक गलियां रोशन की जा चुकी है।सफाई व्यवस्था पर विशेष काम हो रहा है ।लावारिस गोवंश की समस्या अगले माह तक निस्तारित कर ली जाएगी। कुंभ मेला बजट और शासन से क्षेत्र के महत्व को देखते हुए विशेष मदद की हमने मांग की है।

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