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अनुपमा हत्याकांड: भरोसे का हुआ था कत्ल, रिश्ते लज्जित

राजेश गुलाटी ने न सिर्फ पत्नी के जिस्म के टुकड़े किए बल्कि अपने जिगर के टुकड़ों सोनाक्षी व सिद्धार्थ को भी 'तोड़' डाला।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 01 Sep 2017 12:42 PM (IST)Updated: Fri, 01 Sep 2017 08:51 PM (IST)
अनुपमा हत्याकांड: भरोसे का हुआ था कत्ल, रिश्ते लज्जित
अनुपमा हत्याकांड: भरोसे का हुआ था कत्ल, रिश्ते लज्जित

देहरादून, [अंकुर अग्रवाल]: राजेश गुलाटी पति के रूप में बेरहम इंसान के साथ ही बेरहम बाप भी साबित हुआ। अनुपमा की हत्या से 11 साल पूर्व लिए गए सात फेरे कब उसके मन में फांस बनने लगे, शायद इसका अहसास अनुपमा को कभी नहीं हो पाया होगा। राजेश ने न सिर्फ पत्नी के जिस्म के टुकड़े किए बल्कि अपने जिगर के टुकड़ों सोनाक्षी व सिद्धार्थ को भी 'तोड़' डाला। जिस मां के ई-मेल पिता के लैपटॉप पर पढ़ने के बाद मासूम किलकारियां भरते थे, उन्हें मालूम ही नहीं था कि मां का शरीर तो क्रूर बाप ने घर के अंदर फ्रीजर में बंद किया हुआ है। 

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1992 में राजेश व अनुपमा की मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के जरिये दिल्ली के रेस्टोरेंट में हुई और वे एक-दूजे को दिल दे बैठे। सात साल के अफेयर में साथ-साथ पढ़ाई की। 10 फरवरी 1999 को परिणय-सूत्र में बंध गए। संग जीने-मरने की कसमें खाईं और शादी के अगले ही साल राजेश व अनुपमा अमेरिका चले गए। वहां अनबन शुरू हो गई। 2003 में अनुपमा दिल्ली लौट आई, पर राजेश उसे मनाकर 2005 में फिर से अमेरिका ले गया। 

जून 2006 में अनुपमा ने जुड़वां बच्चों सिद्धार्थ और सोनाक्षी को जन्म दिया, पर रिश्तों में खटास बढ़ती गई। बात-बात पर एक-दूसरे से मारपीट की बात आम हो गई। दोनों 2008 में अमेरिका से लौटे तो उनके परिजनों ने सुलह कराने का नया रास्ता तलाशा और उन्हें देहरादून में बसने की सलाह दी।  

जुलाई 2009 में वे देहरादून आ गए और प्रकाश नगर में वेद प्रकाश मित्तल के घर को किराये पर लिया। बच्चों का दाखिला डीपीएस स्कूल में करा दिया, मगर दंपती के बीच कलह खत्म नहीं हुई। मामला घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिकारी के दफ्तर तक पहुंचा और राजेश को फटकार लगी। सितंबर 2010 में तय हुआ कि राजेश अनुपमा को प्रत्येक माह खर्च के लिए 20 हजार रुपये देगा। 

एक माह तो राजेश ने ऐसा किया, लेकिन अगले माह इस बात ने तूल पकड़ लिया। 17 अक्टूबर 2010 को जब झगड़ा हुआ तो भी वजह यही रही। और राजेश ने अनुपमा को बेरहमी से मार डाला। बच्चों को दूसरे कमरे में सुला दिया। सुबह बच्चे उठे तो बोला कि मम्मी नाना के घर चली गई है। बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजा और छुट्टी में ले आया। पौने दो माह तक यही सब चलता रहा। बच्चे मम्मी के बारे में पूछते तो लैपटॉप पर फर्जी ई-मेल दिखा देता। फोन मिलाने को कहते तो टाल जाता। बच्चों को क्या पता था कि मम्मी घर में फ्रीजर में बंद हैं। राजेश ने फ्रीजर का लॉक लगा रखा था। छुट्टी के दिन बच्चों को मसूरी घूमाने के बहाने वह शव के टुकड़ों को ठिकाने लगा रहा था। 

बहाने से पहुंचा था दोस्त

17 अक्टूबर 2010 के बाद कई दिनों तक अनुपमा की मायके वालों से बात नहीं हुई तो उन्हें कुछ शक हुआ। अनुपमा के भाई सिद्धांत ने 11 दिसंबर को हरिद्वार निवासी अपने दोस्त माधव पौड़ियाल को दून जाकर जानकारी लेने को कहा। 12 दिसंबर को माधव यहां पहुंचा तो राजेश ने दरवाजा खोला। उसने खुद को पासपोर्ट एजेंट बताकर अनुपमा के बारे में पूछा। राजेश ने कहा कि अनुपमा दिल्ली गई हुई है। यहीं वह मात खा गया। इसके बाद सिद्धांत दून पहुंच गया। 

 विदेश भागने की फिराक में था

लाश के टुकड़ों को ठिकाने लगाकर राजेश बच्चों को लेकर विदेश भागने की फिराक में था। लगातार ससुरालियों की ओर से अनुपमा से बात कराने के दबाव से राजेश समझ गया था कि अब ज्यादा दिन बचना संभव नहीं। इसलिए उसने सामान की पैकिंग शुरू कर दी थी। जिस दिन खुलासा हुआ, उस दिन भी वह पैकिंग कर रहा था। 

 हॉलीवुड फिल्म का भी था रोल

अनुपमा की हत्या के पीछे हॉलीवुड फिल्म 'साइलेंस ऑफ द लैंब' की अहम भूमिका रही। इस फिल्म में नायक ऐसी ही दरिंदगी से पत्नी की हत्या कर टुकड़े-टुकड़ेकर देता है। वो भी गर्लफ्रेंड की चाहत में। राजेश ने भी ऐसा ही किया। फर्क इतना था कि यहां पत्नी को ठिकाने लगाने की वजह राजेश की गर्लफ्रेंड नहीं बल्कि दूसरी बीबी थी। 

 दूसरी पत्नी को लेकर भी था विवाद 

पुलिस जांच में पता लगा कि राजेश ने कोलकाता में एक महिला से शादी कर ली थी। देहरादून आकर भी राजेश दूसरी बीवी के संपर्क में था। अनुपमा ने इसका विरोध किया तो तकरार बढ़ गई। जांच एजेंसियों ने राजेश के लैपटॉप व मोबाइल खंगाले तो मोबाइल में कोलकाता निवासी एक महिला के एसएमएस मिले। कॉल रिकॉर्ड में पता चला कि राजेश महिला से लगातार संपर्क में था। राजेश के लैपटॉप में इस महिला के ई-मेल थे। राजेश ने पुलिस को बताया था कि अमेरिका से वर्ष 2008 में लौटने के बाद अनुपमा बच्चों के साथ मायके में रहने लगी।

इस दौरान एक मैरिज साइट के जरिये राजेश कोलकाता निवासी महिला के संपर्क में आया और उसी सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब करने चला गया, जिसमें महिला जॉब करती थी। यह महिला पति से अलग रह रही थी। उसका आठ साल का बेटा भी था। राजेश व इस महिला में करीबियां बढ़ गईं और राजेश लिव इन रिलेशनशिप में महिला के साथ रहने लगा। जब लोगों ने उनका विरोध किया तो राजेश ने महिला से आर्य समाज मंदिर में शादी रचा ली, मगर महिला के बेटे ने राजेश को बाप के तौर पर स्वीकार नहीं किया। 

तभी आर्थिक मंदी के चलते राजेश की नौकरी चली गई और इसी बीच महिला का पति भी लौट आया। इसके बाद राजेश वापस दिल्ली पहुंचा। इधर अनुपमा ने भी उसे ई-मेल कर रिश्तों को सुधारने की कोशिश शुरू की। यह अलग बात थी कि दून आकर भी राजेश कुछ नहीं भूला और दूसरी पत्नी के संपर्क में रहा। ये बात अनुपमा को पता चली तो उनका कलह और बढ़ गया।

 मैं नहीं चाहता था कि मेरे बच्चे भी मेरी तरह बड़े हों...

'जब हम छोटे थे, हमारे मां-बाप लड़ते थे। उनमें रोजाना मारपीट होती थी। लड़ाई देखते-देखते ही हम बड़े हुए। अनुपमा व मेरे बीच भी यही सब था। मैं नहीं चाहता था कि मेरे बच्चे भी मेरी तरह बड़े हों। मैं बच्चों को बहुत प्यार करता हूं। मुझे कोई पछतावा नहीं है अनुपमा की हत्या का, पर अब मेरे बच्चों का भविष्य बर्बाद हो गया है। मैंने कोलकाता में दूसरी शादी की हुई थी, पर अब वह महिला अपने पहले पति के साथ रह रही है। अनचाहे रिश्तों और रोज-रोज के झगड़ों से तंग आ गया था।'

(12 दिसंबर 2010 को गिरफ्तारी के बाद राजेश गुलाटी का पुलिस को दिया बयान)

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