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उत्तराखंड में सौ से ज्यादा प्रोजेक्ट पर लटकी तलवार, जानिए वजह

मानकों की अनदेखी करने वाले उत्तराखंड के सौ से अधिक उद्योगों के साथ हाउसिंग प्रोजेक्ट और होटल समेत कर्इ संस्थानों और खनन पट्टों की पर्यावरणीय स्वीकृति पर तलवार लटक गई है।

By Edited By: Published: Mon, 03 Dec 2018 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 03 Dec 2018 08:36 PM (IST)
उत्तराखंड में सौ से ज्यादा प्रोजेक्ट पर लटकी तलवार, जानिए वजह
उत्तराखंड में सौ से ज्यादा प्रोजेक्ट पर लटकी तलवार, जानिए वजह

देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड में मानकों की अनदेखी करने वाले सौ से अधिक उद्योगों, हाउसिंग प्रोजेक्ट, होटल, मॉल समेत विभिन्न संस्थानों और खनन पट्टों की पर्यावरणीय स्वीकृति (ईसी) पर तलवार लटक गई है। राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण (सीआ) की ओर से दो बार नोटिस भेजे जाने के बाद भी इन्होंने जवाब नहीं दिया है। नियमानुसार ऐसे सभी प्रोजेक्ट को ईसी मिलने के बाद हर छह माह में अपनी रिपोर्ट सीआ को भेजनी अनिवार्य है। अब पर्यावरण मंत्रालय की टीम इन सभी प्रोजेक्ट का भौतिक सत्यापन करेगी। इसके बाद पर्यावरणीय स्वीकृति निरस्त करने संबंधी नोटिस भेजे जाएंगे।

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पर्यावरणीय लिहाज से संवेदनशील उत्तराखंड में न सिर्फ निजी, बल्कि सरकारी क्षेत्र के प्रोजेक्ट भी पर्यावरणीय मानकों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। अर्से से चल रहे इस खेल पर जब सीआ ने गौर करना शुरू किया तो यह तस्वीर सामने आई। पता चला कि राज्य में संचालित 106 खनन पट्टों के मामले में पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने के बाद बीते चार साल से अपनी रिपोर्ट सीआ को नहीं भेजी। न सिर्फ खनन पट्टा संचालक बल्कि राज्य में 20 हजार वर्ग मीटर से अधिक भूमि में फैले 21 प्रोजेक्ट के मामले में भी 2015 से सीआ को रिपोर्ट नहीं भेजी गई। 

इनमें सिडकुल सितारगंज, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम रायपुर के अलावा निजी बिल्डर्स, कॉलोनाइजर्स, होटलियर्स, मॉल व संस्थानों के प्रोजेक्ट शामिल हैं। इस स्थिति को देखते हुए सीआ की ओर से इन सभी को दो बार कारण बताओ नोटिस भेजे जा चुके हैं। सीआ के अध्यक्ष डॉ.एसएस नेगी के मुताबिक जिन खनन पट्टों, उद्योगों, हाउसिंग प्रोजेक्ट, होटल, मॉल समेत विभिन्न संस्थानों को नोटिस भेजे गए थे, उनमें से 100 से ज्यादा ने अभी तक जवाब नहीं दिया है। ऐसे में गड़बड़ी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। 

डॉ. नेगी के अनुसार अब पर्यावरण मंत्रालय की टीम के साथ मिलकर इन सभी प्रोजेक्ट की साइट पर जाकर भौतिक सत्यापन किया जाएगा। इससे सही स्थिति सामने आएगी। इसके बाद पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी करने वाले सभी प्रोजेक्ट की पर्यावरणीय स्वीकृति निरस्त करने के संबंध में फाइनल नोटिस भेजे जाएंगे। इस सिलसिले में इसी हफ्ते होने वाली सीआ की बैठक में रणनीति तय की जाएगी। 

यह है नियम 

एन्वायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट में प्रावधान है कि किसी भी खनन पट्टे की पर्यावरणीय स्वीकृति जारी होने के बाद संबंधित पट्टाधारक को हर छह माह में प्रगति रिपोर्ट सीआ को देनी अनिवार्य है। इसमें आवंटित क्षेत्र में हुए खनन के बारे में पूरा ब्योरा देने के साथ ही ये भी बताना होता है कि खनन से नदी-नाले की धारा में कोई बदलाव अथवा किसी जल स्रोत पर कोई असर तो नहीं पड़ा है।

इसी प्रकार उद्योग, हाउसिंग प्रोजेक्ट, होटल, मॉल समेत आदि से जुड़े ऐसे प्रोजेक्ट, जो 20 हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में फैले हैं, उनमें निर्माण शुरू होने के छह माह के भीतर लेनी ईसी प्राप्त करना आवश्यक है। इसके बाद ऐसे प्रोजेक्ट में भी हर छह माह में पर्यावरणीय मानकों के संबंध में रिपोर्ट भेजनी होती है। 

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