उत्तराखंड में स्टेट जीएसटी सवा करोड़ बचाने को काट रहा 40 पद
उत्तराखंड में स्टेट जीएसटी डिपार्टमेंट का मानना है कि यदि राज्य कर अधिकारियों के 40 पदों में कटौती कर दी जाए तो सालाना 1.25 करोड़ रुपये की बचत की जा सकती है।
देहरादून, सुमन सेमवाल। स्टेट जीएसटी डिपार्टमेंट का मानना है कि यदि राज्य कर अधिकारियों के 40 पदों में कटौती कर दी जाए तो सालाना 1.25 करोड़ रुपये की बचत की जा सकती है। मगर, अहम सवाल यह है कि फील्ड स्तर के इन्हीं अधिकारियों से उचित काम लेकर राजस्व का ग्राफ इस तरह की नगण्य बचत से कहीं अधिक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, असल बात जो सामने आ रही है, वह यह कि विभाग को उच्च पदों में इजाफा करना है। ताकि येन-केन-प्रकारेण खास अधिकारियों की पदोन्नति की राह आसान हो जाए।
यही वजह है कि माहभर में ही विभागीय ढांचे का एक के बाद एक तीन प्रस्ताव शासन को भेजे गए। राज्य माल एवं सेवा कर विभाग (स्टेट जीएसटी) ने वैसे छह माह पहले विभागीय ढांचे का प्रस्ताव शासन को भेजा था। इसमें पदों की स्थिति यथावत रखी गई थी।
इस बीच विभागीय पदोन्नति हुई और कुछ खास अधिकारी इस पदोन्नति से वंचित रह गए तो ढांचे का संशोधित प्रस्ताव भेजा गया। इसमें राज्य कर अधिकारियों के 40 पद एक झटके में काट दिए गए और संयुक्त आयुक्त के आठ पदों का सृजन कर दिया गया। कार्मिक विभाग ने इसे मंजूरी दे दी, मगर वित्त विभाग आठ पदों पर सहमत नहीं हुआ।
विभाग ने दोबारा प्रस्ताव भेजा और इस दफा 40 पदों की कटौती के साथ उत्तर प्रदेश की तरह अपर आयुक्त ग्रेड-दो के पांच पद शामिल कर दिए। इस दफा वित्त विभाग ने तीन ही पदों को स्वीकृति दी। अब भी चहेते अधिकारियों की नैय्या पार न लगती देख आला अधिकारी मुख्यमंत्री के पास फाइल लेकर पहुंचे और पांच पदों का अनुमोदन प्राप्त करा लिया।
यदि राज्य कर अधिकारियों के 40 पदों में कटौती जरूरी भी थी तो यह काम पहले ही प्रस्ताव में पूरा हो जाना चाहिए था। जाहिर है कि बात इससे भी इतर की है। इस बीच उत्तराखंड वाणिज्य कर मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन ने आंदोलन की धमकी दे डाली। जिसका असर यह हुआ कि प्रस्ताव पर गुरुवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में चर्चा नहीं कराई गई।
मनमानी पर जीएसटी अफसर भी लामबंद
राज्य कर अधिकारियों के 40 पद समाप्त करने को लेकर अब स्टेट जीएसटी के राजपत्रित अधिकारियों का संगठन राज्य कर सेवा संघ भी लामबंद हो गया है। इसको लेकर संघ ने ऑनलाइन बैठक की। मिनिस्टीरियल एसोसिएशन पहले ही विरोध में है। लिहाजा, दोनों संगठनों ने संयुक्त मोर्चे के रूप में आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया है।
75 फीसद कारोबारियों पर नजर रखते हैं राज्य कर अधिकारी
फील्ड स्तर के राज्य कर अधिकारी राज्य में पंजीकृत 75 फीसद तक कारोबारियों के कारोबार पर निगाह रखते हैं। इन्हीं की बदौलत राजस्व को तेजी से बढ़ाया जा सकता है। उत्तराखंड वाणिज्य कर मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र रावत का कहना है कि राज्य कर अधिकारियों में 50 फीसद भर्ती आयोग के माध्यम से की जाती है, जबकि 50 फीसद पदोन्नति के आधार पर। इसके बाद भी विभाग उनका हक छीनने पर तुला है। यदि पदों में कटौती गई तो व्यापक स्तर पर आंदोलन छेड़ा जाएगा।
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ऑनलाइन कामकाज के अनुरूप किया जा रहा है पदों का सृजन
उत्तराखंड के सचिव वित्त अमित नेगी के मुताबिक, इस मामले को पदों में कटौती की जगह ढांचे के पुनर्गठन के हिसाब से देखना चाहिए। विभाग में जिन पदों की अहमियत नहीं होती है उसमें कटौती जरूरी हो जाती है। वाणिज्य कर के समय फील्ड स्टाफ की अधिक जरूरत थी। अब ऑनलाइन कामकाज बढ़ जाने से इसी के अनुरूप पदों का सृजन किया जा रहा है। यदि फिर भी कहीं गुंजाइश रहती है तो उसके हिसाब से भी कार्रवाई की जाएगी।
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