अब सरकार स्टेट पूल योजना के तहत करेगी गेहूं का संग्रह
उत्तराखंड में इस वर्ष गेहूं खरीद का लक्ष्य 2.21 लाख मीट्रिक टन रखा गया है। इस समस्त गेहूं का संग्रह स्टेटपूल योजना के तहत राज्य सरकार करेगी।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राज्य में केंद्र सरकार की तर्ज पर गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1735 रुपये प्रति कुंतल घोषित किया गया है। राज्य सरकार ने रबी विपणन सत्र 2018-19 के लिए गेहूं खरीद नीति जारी कर दी। इस वर्ष गेहूं खरीद का लक्ष्य 2.21 लाख मीट्रिक टन रखा गया है। इस समस्त गेहूं का संग्रह स्टेटपूल योजना के तहत राज्य सरकार करेगी। गेहूं खरीद में महत्वपूर्ण योगदान देने पर क्रय केंद्रों पर तैनात स्टाफ को पुरस्कार दिया जाएगा।
राज्य में पहली अप्रैल से गेहूं खरीद की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन गेहूं खरीद नीति करीब हफ्ताभर विलंब से जारी हुई। इससे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत रबी सत्र को लेकर समीक्षा बैठक में गेहूं खरीद की प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश दे चुके हैं।
गुरुवार को खाद्य, नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता मामले के प्रमुख सचिव आनंद वर्धन की ओर से जारी इस नीति में बताया गया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना एवं टाइडओवर अलोकेशन के तहत योजनाओं की पूति के लिए राज्य की गेहूं की सालाना जरूरत 2,20,587 मीट्रिक टन है। इसी वजह से गेहूं खरीद लक्ष्य 2.21 लाख मीट्रिक टन रखा गया है। गेहूं खरीद सत्र चालू माह अप्रैल से लेकर 30 जून तक रहेगा। इस अवधि में गेहूं क्रय केंद्र सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक खुले रहेंगे। क्रय एजेंसियां चयनित हो चुकी हैं।
स्टेट पूल में लक्ष्य की पूर्ति होने के बाद ही केंद्रीय पूल के लिए भारतीय खाद्य निगम को गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा। खरीदे गए गेहूं का भंडारण राज्य भंडारण निगम एवं केंद्रीय भंडारण निगम के गोदामों में किया जाएगा। प्रमुख सचिव ने बताया कि राज्य में गेहूं खरीद की दृष्टि से अधिकतर जिले डेफिसिट हैं। इन जिलों में गेहूं की आवश्यकता की पूर्ति सरप्लस जिलों से गेहूं भेजकर की जाएगी। गेहूं की गुणवत्ता को लेकर विवाद के निस्तारण की व्यवस्था भी तय की गई है।
केंद्रीय पूल में गेहूं की आपूर्ति किए जाने पर विवाद की दशा में भारतीय खाद्य निगम व संबंधित क्रय एजेंसी के प्रतिनिधियों की समिति निर्णय लेगी, जबकि स्टेट पूल में गेहूं की आपूर्ति की दशा में खाद्य विभाग व संबंधित क्रय एजेंसी के प्रतिनिधियों की समिति निर्णय लेगी। उक्त दोनों स्तर पर विवाद का निपटारा नहीं होने की स्थिति में उच्चतर स्तर पर विवाद के निपटाने को तीन सदस्यीय समिति में संभागीय खाद्य नियंत्रक, भारतीय खाद्य निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक व संबंधित क्रय एजेंसी के जिलास्तरीय अधिकारी शामिल किए गए हैं।
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