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सर्वाइकल कैंसर से बचाव को प्रदेश सरकार उदासीन Dehradun News

सर्वाइकल कैंसर को बच्चेदानी के मुंह का भी कैंसर कहते हैं। इसके प्रति दूसरे राज्य एचपीवी (हयूमन पेपीलोमा वायरस) वैक्सिनेशन कार्यक्रम चला रहे हैं वहीं उत्तराखंड सरकार उदासीन हैैै।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 11:16 AM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 11:16 AM (IST)
सर्वाइकल कैंसर से बचाव को प्रदेश सरकार उदासीन Dehradun News
सर्वाइकल कैंसर से बचाव को प्रदेश सरकार उदासीन Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। भारत में महिलाएं स्तन कैंसर के बाद सबसे अधिक गर्भाशय कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) से पीड़ित हो रही हैं। आम भाषा में सर्वाइकल कैंसर को बच्चेदानी के मुंह का भी कैंसर कहते हैं। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और यहां तक की सिक्किम जैसे छोटे राज्यों ने भी अपने स्तर से इसके लिए एचपीवी (हयूमन पेपीलोमा वायरस) वैक्सिनेशन कार्यक्रम चलाया हुआ है। वहीं, उत्तराखंड सरकार इस ओर उदासीन नजर आ रही है। प्रदेश में न तो इसके लिए कोई जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और न ही टीकाकरण की कोई तैयारी है। इसके लिए विभाग केंद्र का मुंह ताक रहा है। इस बीमारी की स्क्रीनिंग के लिए भी कोई प्रोग्राम यहां नहीं है।

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विश्व कैंसर दिवस पर हार्वर्ड स्कूल ऑफ मेडिकल हेल्थ के तत्वावधान में एक वेबीनार का आयोजन किया गया। जिसमें एम्स दिल्ली के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की हेड डॉ. नीरजा भाटिया ने सर्वाइकल कैंसर के विषय में जानकारी दी। सर्वाइकल कैंसर एकमात्र ऐसा कैंसर है, जिसकी काफी हद तक वैक्सीन लगावाकर रोकथाम की जा सकती है। 

उन्होंने कहा कि वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर से बचाव में 98 फीसदी तक कारगर है। इसे राष्ट्रीय टीकाकरण में शामिल करने पर भी विचार किया जा रहा है। कुछ राज्य अपने स्तर पर एचपीवी वैक्सिनेशन कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। जिसमें 9-14 वर्षीय युवतियों को शामिल किया गया है। लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए दो चरणों में सर्वाइकल कैंसर का टीका लगाया जा रहा है, जिससे उन्हें भविष्य में सर्वाइकल कैंसर से बचाया जा सके। 

एक अनुमान के अनुसार देशभर में वैक्सिनेशन कार्यक्रम शुरू किया जाए, तो हर साल करीब 50 हजार जिंदगी बचाई जा सकती है। कहा कि भारत में प्रत्येक 53 महिलाओं में एक को सर्वाइकल कैंसर की संभावना होती है। देश की महिलाएं अधिक जोखिम में हैं इसलिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। 

इधर, अपर सचिव स्वास्थ्य एवं एनएचएम के मिशन डायरेक्टर युगल किशोर पंत का कहना है कि एचपीवी टीकाकरण राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल नहीं है। एचपीवी टीकाकरण को लेकर क्या किया जा सकता है, इस पर विचार किया जाएगा। 

पैप स्मीयर टेस्ट जरूरी

पैप स्मीयर टेस्ट को जरूरी बताया गया है। इसी टेस्ट के जरिए पता चलता है कि सर्वाइकल कैंसर है या नहीं। यह टेस्ट वैक्सीनेशन के बाद भी जरूरी है।

क्यों है एचपीवी टीकाकरण की जरूरत 

-दुनिया में सर्वाइकल कैंसर पांचवां सबसे आम कैंसर है और महिलाओं में होने वाला दूसरा। 

-विश्व स्तर पर हर वर्ष 510,000 सर्वाइकल कैंसर के नए मामले आते हैं। 

-भारत में 132,000 नए गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के मामले और 74,000 लोगों की मृत्यु हर साल होती है।

बच्चों ने बनाए कागज के बैग

रमा प्रसाद घिल्डियाल 'पहाड़ी' फाउंडेशन ने कैंसर डे के मौके पर यूपीएस स्कूल, काठबंग्ला में जागरूकता अभियान चलाया। अभियान के तहत स्कूली बच्चों से कागज के बैग भी बनवाए गए। साथ ही कैंसर विषय पर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। स्कूल के प्रधानाचार्य आशिमा डिमरी ने आयोजन के लिए संस्था का धन्यवाद दिया। अभियान में  फाउंडेशन की अध्यक्ष अदिति, दीपक सजवाण, मनोज कुंवर, डॉ. नरेश मिश्रा, पदनी शर्मा, राहुल नेगी, अमीषा, अंकित तिवारी, डिंपी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

विश्व कैंसर दिवस: इलाज से बेहतर विकल्प है बचाव

विश्व कैंसर दिवस पर दून मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना की अध्यक्षता में गोष्ठी का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि वक्त पर कैंसर की बीमारी का पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है। ऐसे में इसे लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है। 

पैथोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एनसी थपलियाल ने बताया कि अभी भी आम लोगों में कैंसर से संबंधित विभिन्न प्रकार के सामाजिक मिथक हैं। इसके कारण, लक्षण व उपचार और कैंसर की सभी वास्तविकता के बारे में सामान्य जागरूकता पर उन्होंने बल दिया। कहा कि कैंसर का इलाज संभव है, पर इसके लिए जरूरी है कि लक्षणों के आधार पर शुरुआत में ही चिकित्सीय परामर्श लिया जाए। 

फार्माकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रंगील सिंह रैना ने कहा कि कैंसर की रोकथाम के लिए निरंतर नए शोध व औषधियों का निर्माण किया जा रहा है। जिससे कई गंभीर कैंसर का भी इलाज संभव हो रहा है। कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. देवव्रत राय ने बताया कि कैंसर की रोकथाम एवं उपचार तभी संभव है, जब जन समुदाय को कैंसर के लक्षणों व सही उपचार का बोध हो। गोष्ठी से पहले कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने पथरी बाग, भंडारी बाग में कैंसर जागरूकता रैली निकली। 

उधर, शहरी स्वास्थ्य केंद्र मेहूंवाला के अंतर्गत राजकीय इंटर कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुनील ने संवाद कार्यक्रम में कैंसर के बारे में विस्तृत जानकारी दी। वहीं एमबीबीएस 2018 बैच के छात्र-छात्राओं के लिए प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया गया। 

110 लोगों को दिया परामर्श, मुफ्त मेमोग्राफी जांच  

दून अस्पताल में अस्पताल में सहयोग केंद्र की मदद से 110 मरीजों को कैंसर से बचाव के बारे में बताया गया। इस अवसर पर निश्शुल्क मेमोग्राफी जांच भी की गई। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा, डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री, डॉ. मनोज शर्मा, कैंसर विभाग के एचओडी डॉ. ललित मोहन, डॉ. तन्वी खन्ना, डॉ. विकास सिकरवार, डॉ. अनिल जोशी, सहयोग केंद्र के रविकांत, वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी महेंद्र भंडारी, संदीप राणा, दिनेश रावत आदि मौजूद रहे। 

वॉकथॉन से कैंसर के प्रति किया जागरूक

विश्व कैंसर दिवस पर मैक्स अस्पताल की ओर से वॉकथॉन आयोजित किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने पैदल चलकर आमजन को कैंसर के प्रति जागरूक किया। 

महापौर सुनील उनियाल गामा ने गांधी पार्क से वॉकथॉन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विमल पंडिता ने कहा कि दुनिया में हर मिनट 17 लोग कैंसर से मरते हैं। कैंसर से जागरूकता, बचाव और जल्द पहचान होने से 30 प्रतिशत लोगों को बचाया जा सकता है। 

सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि उत्तराखंड पिछले कुछ सालों में कैंसर की चपेट में आया है। अधिकांश मरीज क्रिटिकल स्टेज पर डॉक्टरों से संपर्क करते हैं, जिससे उपचार और इलाज की प्रक्रिया बहुत मुश्किल हो जाती है। लोगों को चाहिए कि कुछ भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और अपनी जांच कराएं। इस दौरान एसपी प्रकाश चंद्र आर्य, डॉ. एकेसिंह, डॉ. संदीप सिंह तंवर, समाजसेवी मोहन खत्री आदि मौजूद रहे। 

बेटी को दें एचपीवी वैक्सीन का तोहफा

कनिष्क अस्पताल में विश्व कैंसर दिवस पर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें इस गंभीर बीमारी से बचाव व रोकथाम आदि के विषय में जानकारी दी गई। अस्पताल के चिकित्सक डॉ. मुकेश गुप्ता, डॉ. रितु गुप्ता, डॉ. विजय त्यागी व डॉ. रजा अली ने विस्तार से इसकी जानकारी दी।

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डॉ. मुकेश गुप्ता ने कहा कि कैंसर हमारी सोच से बड़ा नहीं है। यदि हम चाहें तो कैंसर को मिलकर हरा सकते हैं। डॉ. रितु गुप्ता ने महिलाओं में बढ़ रहे स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर आदि के कारणों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अपनी बेटी को कोई तोहफा देना है तो सर्वाइकल कैंसर से बचाव को उसका टीकाकरण कराएं। 

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