दफ्तरों में काली पट्टी बांधकर सरकारी कर्मियों ने किया काम
मांगों को लेकर आंदोलनरत राज्य कर्मचारियों का चरणबद्ध आंदोलन मंगलवार से शुरू हो गया। पहले चरण में कर्मचारी बाहों में काला फीता बांधकर विरोध जताया।
देहरादून, जेएनएन। दस सूत्रीय मांगों पर सरकार की तरफ से सकारात्मक कार्रवाई न होने से निराश कर्मचारियों ने एक बार फिर चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है। आंदोलन का पहला चरण मंगलवार से बाहों में काली पट्टी बांध शांतिपूर्ण विरोध जताने के साथ शुरू हुआ।आंदोलन अलग-अलग चरणों में तेज किया जाएगा। कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार वायदे से पीछे हटती है तो कर्मचारी उग्र आंदोलन को मजबूर होंगे। वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विभिन्न कर्मचारी संगठनों की ओर से अपनाई जा रही हड़ताल की प्रवृत्ति पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हड़ताल किसी समस्या का समाधान नहीं है। हड़ताल से न केवल कर्मचारियों बल्कि आमजन व प्रदेश का भी नुकसान होता है।
उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के आह्वान पर मंगलवार से शुरू चरणबद्ध आंदोलन को प्रदेश के सभी राजकीय कर्मचारियों से समर्थन मिल रहा है। कर्मचारी सरकार की ओर से मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई न होने से नाराज हैं। राज्यभर में कर्मचारियों ने दफ्तरों ने काली पट्टी बांधकर काम किया। दून में विकास भवन, आरटीओ, उद्यान, ग्र्राम्य विकास, सहकारिता व अन्य विभागों के कर्मचारियों ने सुबह से ही बाहों में काली पट्टी बांधकर कामकाज किया। हालांकि, शांतिपूर्वक हुए आंदोलन का सरकारी कामकाज पर असर नहीं पड़ा।
सभी विभागों में कर्मचारियों ने कामकाज सामान्य रूप से किया। मामले में उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल की भी महत्वपूर्ण बैठक हुई। संयोजक मंडल ने आंदोलन को सफल बनाने की रणनीति पर चर्चा की। संयोजक मंडल ने सरकार पर कर्मचारियों की मांगों पर कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त समय देने की बात कही। यदि अब भी कार्रवाई नहीं की जाती है तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
चेतावनी दी गई कि इस बार आंदोलन से किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटा जाएगा। बैठक में संयोजक ठाकुर प्रहलाद सिंह समेत दीपक जोशी, राकेश जोशी, नवीन कांडपाल और संतोष रावत उपस्थित रहे। वहीं, मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को अपनी समस्या के समाधान के लिए वार्ता करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की जायज मांगों को लेकर सरकार गंभीर है।
ये हैं मांगे:
- 10, 16, 26 वर्ष की सेवा पर एसीपी का लाभ पदोन्नत वेतनमान के साथ। शिक्षकों के लिए भी यही व्यवस्था।
- प्रदेश में राज्यकर्मियों की सुविधा निगम, निकाय, संस्थान, प्राधिकरण पर भी लागू हो। -शिथिलीकरण नियमावली 2010 पूर्व की भांति लागू हो।
- आवास भत्ता 8, 12, 16 प्रतिशत करते हुए अन्य भत्तों में वृद्धि हो।
- पुरानी पेंशन योजना की बहाली।
- आयुष्मान योजना में कार्मिकों को सरकारी अस्पताल से रेफर करने की अनिवार्यता की बाध्यता समाप्त हो।
- चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का ग्रेड-पे 4200 दिया जाए।
- राजकीय वाहन चालकों को 2400 के बजाय 2800, 4200 व 4600 ग्रेड वेतन दिया जाए।
- एक जनवरी 2006 या इसके बाद भर्ती या पदोन्नति पर शुरुआती वेतन का निर्धारण वित्त विभाग के ताजा शासनादेश के आधार पर हो।
- आउटसोर्स कर्मियों को समान कार्य के अनुरूप समान वेतन दिया जाए।
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