Move to Jagran APP

राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारियों व जिला निर्वाचन अधिकारियों को जारी किए निर्देश

उत्‍तराखंड के 12 जिलों में नए पंचायतीराज एक्ट के प्रावधानों को आधार बनाकर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नामांकन पत्रों को लेने या जमा करने से प्रत्याशियों को रोका नहीं जाएगा।

By Edited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 08:55 PM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 01:00 PM (IST)
राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारियों व जिला निर्वाचन अधिकारियों को जारी किए निर्देश
राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारियों व जिला निर्वाचन अधिकारियों को जारी किए निर्देश

देहरादून, राज्य ब्यूरो। हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के शेष 12 जिलों में नए पंचायतीराज एक्ट के प्रावधानों को आधार बनाकर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नामांकन पत्रों को लेने या जमा करने से प्रत्याशियों को रोका नहीं जाएगा। प्रत्याशियों की पात्रता से संबंधित बिंदुओं की जांच नामांकन पत्रों की जांच को तय तारीख पर होगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में सख्त हिदायत सभी जिलाधिकारियों और जिला निर्वाचन अधिकारियों को जारी की है।

loksabha election banner

पंचायत जनाधिकार मंच ने शनिवार को आयोग को ज्ञापन सौंपकर दो से अधिक बच्चों के माता-पिता के चुनाव लड़ने पर लगी रोक हटाने के हाईकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या किए जाने की शिकायत की थी। उधर, मंच की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी कैविएट दाखिल की गई है।

पंचायत जनाधिकार मंच की उक्त शिकायत पर आयोग ने शनिवार को सभी जिलाधिकारियों व जिला निर्वाचन अधिकारियों को आदेश जारी किए। इससे पहले मंच के प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के सचिव रोशन लाल से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि पंचायतीराज संशोधन अधिनियम-2019 के प्रावधानों से हजारों लोग पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे थे। इस संबंध में दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश पारित कर 25 जुलाई, 2019 से पहले दो से अधिक संतान के माता-पिता के लिए पंचायत चुनाव लड़ने का रास्ता साफ किया है। ज्ञापन में कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश को केवल ग्राम पंचायत के दो पदों के लिए छूट दिए जाने के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत सदस्य के पद पर चुनाव लड़ने वालों को इस आदेश में छूट नहीं दी गई है।

ज्ञापन में यह भी बताया गया कि हाईकोर्ट के आदेश में धारा आठ (1)(आर)में ग्राम पंचायत का उल्लेख नहीं करके पंचायतीराज इंस्टीट्यशंस कहा गया है। इसका अर्थ ये है कि यह आदेश पंचायत की तीनों संस्थाओं के लिए दिया गया है। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आयोग के स्तर से जारी एडवाइजरी में दो से अधिक संतान वाले केवल ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के पद पर चुनाव लड़ सकते हैं, का उल्लेख किया गया है। इसमें क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य का उल्लेख न होने के कारण प्रदेश में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

ज्ञापन में शिकायत की गई कि कई जगह कुछ रिटर्निग अधिकारी नामांकन पत्र के साथ दो से अधिक बच्चे न होने का शपथ पत्र दिखाने पर ही नामांकन पत्र जमा करा रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल में मंच के संयोजक जोत सिंह बिष्ट, संजय भट्ट, शांति रावत व रेनू नेगी शामिल थे। उक्त ज्ञापन के बाद राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव रोशन लाल की ओर से जिलाधिकारियों व जिला निर्वाचन अधिकारी पंचायत को निर्देश जारी कर पंचायतीराज अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देकर नामांकन पत्रों की खरीद या उन्हें जमा कराने से प्रत्याशियों को वंचित नहीं करने को कहा है।

यह भी पढ़ें: जिपं, क्षेपं सदस्य और ग्राम प्रधान की 19 सीटों में बदला आरक्षण

इन्कार करने वाले निर्वाचन अधिकारी या सहायक निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। उधर, मंच के संयोजक जोत सिंह बिष्ट ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट जा रही है, इसे देखते हुए मंच की ओर से अधिवक्ता आयुष नेगी ने केविएट दाखिल कर दी है।

यह भी पढ़ें: पंचायत चुनाव: जिला पंचायतों को भाजपा ने घोषित किए समर्थित प्रत्याशी 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.