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राज्य आंदोलनकारी सकलानी का हार्ट अटैक से निधन, उत्तराखंड निर्माण आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी बीएल सकलानी अब हमारे बीच नहीं रहे। शनिवार रात दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 12:29 PM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 10:18 PM (IST)
राज्य आंदोलनकारी सकलानी का हार्ट अटैक से निधन, उत्तराखंड निर्माण आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका
राज्य आंदोलनकारी सकलानी का हार्ट अटैक से निधन, उत्तराखंड निर्माण आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

देहरादून, जेएनएन। कचहरी स्थित शहीद स्मारक में बने मंदिर में खुद को पेट्रोल की बोतल के साथ बंद कर आत्मदाह की कोशिश करने वाले वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी बीएल सकलानी अब नहीं रहे। शनिवार रात दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वहीं, राज्य आंदोलनकारियों ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि 15 साल से वह राज्य आंदोलन के बलिदानियों की निशानी को सुरक्षित करने के लिए स्थायी संग्रहालय बनाने की मांग कर रहे थे, सरकार अगर उनकी इस मांग को पूरा कर देगी तो यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।

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उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने बीएस सकलानी के निधन की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि शनिवार को उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद दून अस्पताल ले जाया गया। यहां रात करीब साढ़े नौ बजे उनका निधन हो गया। इस समय उनका पार्थिव शरीर मोर्चरी में है, कोरोना टेस्ट के बाद ही अंतिम संस्कार किया जाएगा। गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को आत्मदाह की कोशिश के मामले में देर शाम को सिटी मजिस्ट्रेट ने उन्हें निजी मुचलके पर छोड़ दिया था। इसके बाद पुलिस उन्हें ओल्ड डालनवाला स्थित आवास पर छोड़ आई थी।

जब पेट्रोल के साथ खुद को कमरे में कर दिया था बंद 

आपको बता दें कि शुक्रवार को कचहरी स्थित शहीद स्मारक में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी बीएल सकलानी बोतल में पेट्रोल लेकर पहुंचे। उन्होंने शहीदों की पूजा के लिए बने कमरे में उन्होंने अंदर खुद को ताला लगाकर बंद कर दिया। इसके बाद वहां मौजूद अन्य व्यक्तियों ने इसकी सूचना पुलिस को दी, मौके पर पुलिस पहुंची और पानी की बौछारें की। इसके बाद कटर से ताला काटकर उन्हें बाहर निकाला गया। 

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इस दौरान बीएल सकलानी ने कहा था कि लंबे समय से राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को सरकार अनदेखा कर रही है।सकलानी ने कहा था कि उन्होंने खुद का अस्थायी संग्रहालय बनाया, लेकिन इसके बाद भी उसके संरक्षण के लिए सरकार भवन तक नहीं बना रही। आने वाली पीढ़ी के लिए आंदोलनकारी और शहीदों की निशानी को सुरक्षित करने के लिए स्थायी संग्रहालय बनाने और उत्तराखंड आंदोलन का मुख्य भाग उत्तराखंड शिक्षा परिषद में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर साल शासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होती।

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