बेरोजगारी से निपटने को मुद्रा को तेज करनी होगी चाल
उत्तराखंड में स्वरोजगार के साथ ही लोगों खासतौर पर युवाओं को छोटे कारोबार लगाने और फिर उसे विस्तार देने में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने उम्मीदें जगाई हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में एक ओर साल-दर-साल बेरोजगारों की लंबी होती पंक्ति, दूसरी ओर सरकारी क्षेत्र में रोजगार के सीमित अवसर। ऐसे में स्वरोजगार के साथ ही लोगों खासतौर पर युवाओं को छोटे कारोबार लगाने और फिर उसे विस्तार देने में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने उम्मीदें जगाई हैं। नौ महीने में इस योजना ने 93,327 लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी है। मैदानी क्षेत्रों से लेकर पहाड़ों पर छोटे कारोबारों को खड़ा करने में पेश आ रही आर्थिक दिक्कत दूर करने में यह योजना अहम भूमिका निभा रही है। बावजूद इसके योजना के सामने बड़ी चुनौती बढ़ती बेरोजगारी पर अंकुश लगाने की है। राज्य में करीब साढ़े आठ लाख बेरोजगारों को रोजगार की चुनौती मुंहबाए खड़ी है।
तीन चरणों में मिल रहा लाभ
प्रदेश में मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रीफाइनेंस एजेंसी) योजना अपने बलबूते परचून की दुकान, रेस्तरां, परिवहन सेवाएं, बुटीक समेत तमाम छोटे काम धंधे और कारोबार करने के इच्छुक लोगों के लिए आशा की किरण के रूप में है। यह दीगर बात है कि इसके क्रियान्वयन को लेकर बैंक मिशन मोड में नजर नहीं आ रहे हैं। इस योजना के तहत तीन चरणों में कर्ज की व्यवस्था की गई है। शिशु योजना के तहत सूक्ष्म व कुटीर उद्योग धंधे के इच्छुक लोगों को 50 हजार रुपये, इन उद्योग धंधों को बढ़ाने के लिए किशोर योजना के तहत 50 हजार रुपये से पांच लाख तक और तीसरे चरण में तरुण योजना के तहत पांच लाख से लेकर 10 लाख तक ऋण लेने की व्यवस्था है। खास बात ये है कि ऋण की व्यवस्था सरल रखी गई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग और नव उद्यमी लाभ उठा सकें।
सर्विस सेक्टर में सबसे ज्यादा ऋण
राज्य में मुद्रा की बेहतर संभावनाओं का अंदाजा इससे लग सकता है कि सिर्फ नौ माह में यानी एक अप्रैल, 2018 से 31 दिसंबर, 2018 के बीच ही 93327 लाभार्थियों को करीब 1448.61 करोड़ ऋण बांटा गया है। सरकारी आंकड़े उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में उम्मीदें जगाने वाले हैं। सबसे ज्यादा ऋण सर्विस सेक्टर में 897.19 करोड़ रुपये दिया गया है। इसके बाद 345.93 करोड़ व्यापारिक उद्यमों के लिए लिया गया है। कृषि आधारित गतिविधियों के लिए 96.47 करोड़ तो मैन्युफैक्चङ्क्षरग सेक्टर के लिए 109.01 करोड़ ऋण दिया गया है।
मुद्रा योजना के लाभार्थी नई टिहरी निवासी मुकेश पंवार कहते हैं कि वह दुकान खोलने की सोच रहे थे, लेकिन इसके लिए पूंजी की कमी आड़े आ रही थी। मुद्रा लोन की जानकारी मिलने पर उन्होंने 50 हजार रुपये का ऋण लिया और सब्जी की दुकान खोली। अब दुकान अच्छी चलने से उन्हें नौकरी की चिंता नहीं है। चमोली जिले के किलोंडी गांव के बेरोजगार अशोक सिंह बताते हैं कि उन्होंने मुद्रा लोन से बुलेरो वाहन खरीदने को ऋण लिया। अब वाहन चलाकर स्वरोजगार मिल गया है। उत्तरकाशी जिले के भंडारस्यं क्षेत्र के डांग ब्रह्मखाल निवासी दिनेश कुमार का कहना है कि उन्होंने सब्जी की दुकान खोलने को 40 हजार रुपये ऋण लिया, लेकिन घटती-बढ़ती ब्याज दर के चलते कुछ परेशानी भी पेश आ रही है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के क्रियान्वयन में पेश आ रही चुनौती:
- उत्तराखंड में मुद्रा योजना के आंकड़े से सामाजिक-आर्थिक विषमता उजागर
- दूरदराज पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे कारोबार व उद्यमों की स्थापना को ज्यादा ऋण देने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं बैंक
- मैदानी क्षेत्रों में ही अपेक्षाकृत बेहतर नतीजे दे पा रहे हैं बैंक
- छोटे ऋण देने में उत्साह, लेकिन उद्यमिता विकास को बड़ा ऋण देने में हिचक बरकरार।
प्रदेश में 01 अप्रैल, 2018 से 31 दिसंबर, 2018 तक वितरित मुद्रा लोन का जिलेवार ब्योरा
(राशि करोड़ में)
जिले-----------लाभार्थियों की संख्या-----------कर्ज राशि
द हरादून-----------25784----------------------405.55
उत्तरकाशी---------1242------------------------39.67
हरिद्वार-----------15036----------------------148.11
टिहरी--------------2176---------------------------56.32
पौड़ी---------------3260---------------------------60.20
चमोली-----------1814---------------------------32.60
रुद्रप्रयाग---------1240----------------------------94.19
अल्मोड़ा----------4046----------------------------52.08
बागेश्वर----------1310----------------------------27.10
पिथौरागढ़--------4988---------------------------123.80
चंपावत-----------2646----------------------------39.11
नैनीताल----------8028---------------------------96.28
ऊधमसिंहनगर----21757----------------------273.54
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