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निकाय चुनावों के सहारे सपा को धरातल की तलाश

समाजवादी पार्टी इस बार निकाय चुनावों के जरिए सपा जनता के बीच पैंठ बिठाने की तैयारी में है। इसके लिए मुद्दों को लेकर प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मंथन किया जाएगा।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 02 Jan 2018 10:46 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2018 10:29 PM (IST)
निकाय चुनावों के सहारे सपा को धरातल की तलाश
निकाय चुनावों के सहारे सपा को धरातल की तलाश

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: समाजवादी पार्टी एक बार फिर प्रदेश में अपना जनाधार तैयार करने की कोशिश में जुटी है। इस बार निकाय चुनावों के जरिए सपा जनता के बीच पैंठ बिठाने की तैयारी में है। हालांकि, पार्टी के सामने जनता का विश्वास जीतना सबसे बड़ी चुनौती है। किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाया जाए। इसे लेकर सपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मंथन किया जाएगा।

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समाजवादी पार्टी की अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय उत्तराखंड वाले हिस्से में अच्छी पैठ थी। वर्ष 1996 में सपा ने चकराता, हरिद्वार व रुड़की में जीत दर्ज की थी। इसमें सबसे अहम बात यह थी कि तब उत्तराखंड में सपा को 1994 में उत्तराखंड आंदोलन के बाद खलनायक के रूप में देखा गया था। 

वर्ष 2000 में राज्य गठन होने के बाद पहले चुनावों में सपा को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी। हालांकि, वर्ष 2004 में सपा ने हरिद्वार लोकसभा चुनाव जीत कर अपनी मौजूदगी का अहसास कराया। इससे लगा की वर्ष 2007 में अच्छा प्रदर्शन करेगी। मगर ऐसा हुआ नहीं और सपा का प्रदर्शन लगातार गिरता गया। 

वर्ष 2007 और वर्ष 2012 में सपा ने क्रमश: 55 और 45 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट पर जीत नहीं मिल पाई। वर्ष 2017 में तो स्थिति यह हुई कि पार्टी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। पार्टी को कुल 0.37 प्रतिशत वोट ही मिल पाया। 

हालांकि, इसका कारण सपा में चल रही अंदरुनी उठापठक को बताया गया। इन चुनावों के दौरान यह बात सामने आ रही थी कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को उत्तराखंड में पार्टी को नए सिरे से मजबूत करने की जिम्मेदारी मिल सकती है। बावजूद इसके चुनावी नतीजों के बाद स्थितियां बदली हुई है। 

अभी पार्टी की कमान युवा नेता कुलदीप रावत के हाथों में है। उनके सामने निकाय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने की चुनौती है। पार्टी की मंशा अधिक से अधिक सीटों पर प्रत्याशी उतारने की है। हालांकि माना जा रहा है कि पार्टी का मुख्य जोर मैदानी सीटों पर रहेगा। 

समाजवादी पार्टी यह भी नहीं चाहती कि केवल नाम के लिए चुनाव लड़ा जाए, इस कारण मजबूत प्रत्याशियों को भी तलाश जा रहा है, ताकि उसके खाते में कुछ सीटें आए। निकाय चुनावों की रणनीति क्या होगी, इसके लिए पार्टी ने मंगलवार को देहरादून में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक रखी है।

सपा प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप रावत का कहना है कि निकाय चुनावों में पार्टी पूरी शिद्दत से प्रतिभाग करेगी। सपा खुद को भाजपा व कांग्रेस के विकल्प के तौर पर जनता के सामने आने का प्रयास करेगी। प्रदेश कार्यसमिति में इन्हीं मुद्दों पर मंथन किया जाएगा।

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