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Somvati Amavasya 2022: तीस वर्ष के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में बन रहा है सोमवती अमावस्या का संयोग, पूजन पर मिलेगा हजारों गुना फल

इस बार सोमवती अमावस्या 30 मई को पड़ रही है। आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि तीस वर्षों बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। ऐसे में पूजन करने हजारों गुना अधिक फल मिलेगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 05:57 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 05:57 PM (IST)
Somvati Amavasya 2022: तीस वर्ष के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में बन रहा है सोमवती अमावस्या का संयोग, पूजन पर मिलेगा हजारों गुना फल
30 वर्ष के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, रुड़की: 30 मई को सोमवती अमावस्या पड़ रही है। 30 वर्ष के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। ऐसे में पूजन का हजारों गुना अधिक फल मिलेगा।

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आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि सोमवती अमावस्या पर पीपल के वृक्ष का पूजन करके शृंगार सामग्री अर्पित करनी चाहिए। फिर कच्चा सूत लपेटते हुए 108 परिक्रमा करनी चाहिए।

इससे अखंड सौभाग्य एवं सुख-समृद्धि प्राप्त होता है। इस दिन पीपल का पूजन करने से पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।

इस बार दो दिन किया जाएगा वट सावित्री का व्रत

अमावस्या तिथि बढऩे की वजह से इस बार दो दिन 29 और 30 मई को वट सावित्री का व्रत किया जा सकता है। यह व्रत खास रूप से सत्यवान और सावित्री को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। मान्यता है कि यह व्रत करने से सुहागिनों को पति की दीर्घायु और कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर मिलता है।

वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को किया जाता है। यह व्रत अखंड सौभाग्य देने वाला होता है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि 29 और 30 मई दो दिन यह व्रत किया जाएगा। क्योंकि 29 मई को अमावस्या तिथि दोपहर तीन बजे शुरू होगी, जो अगले दिन 30 मई को करीब पांच बजे तक रहेगी।

पंचांगों के अनुसार सायंकालीन अमावस्या में 29 मई को व्रत करने का निर्देश दिया गया है। इसलिए, 29 मई को ही वट सावित्री का व्रत करना शास्त्रोचित रहेगा। उन्होंने बताया कि वट सावित्री का व्रत करने के लिए इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष विधान है।

पूजन करके शृंगार की वस्तुएं, पंखा, जलपात्र, छतरी, कई प्रकार के व्यंजन आदि अर्पण करके कच्चा सूत लपेटकर 108 परिक्रमा करने से पति दीर्घायु होता है। इसी दिन शनिदेव की जयंती भी मनाई जाती है।


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