नगर निगम के कुछ अधिकारी रैमकी पर मेहरबान, नोटिस में कंपनी से निभाई दोस्ती
ढाई साल में ही फेल साबित हो चुकी रैमकी कंपनी के संग नगर निगम के कुछ अधिकारियों की दरियादिली कम होने का नाम नहीं ले रही।
देहरादून, जेएनएन। कूड़ा निस्तारण में ढाई साल में ही फेल साबित हो चुकी रैमकी कंपनी के संग नगर निगम के कुछ अधिकारियों की 'दरियादिली' कम होने का नाम नहीं ले रही। कूड़े का पर्याप्त निस्तारण न होने और प्लांट से निकलने वाले गंदे पानी लिचेड का ट्रीटमेंट न होने पर नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने दस दिन पूर्व कंपनी को नोटिस देने के आदेश जारी किए थे। स्थिति यह है कि पहले तो वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने एक हफ्ते तक नोटिस ही जारी नहीं किया और अब किया तो उसे सुधारने के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की। नोटिस में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि कंपनी कितने वक्त में लिचेड ट्रीटमेंट शुरू करेगी।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के निर्माण से पूर्व से नगर निगम के कुछ अधिकारियों पर रैमकी कंपनी से सांठगांठ कर उसे प्लांट का टेंडर दिलाने के आरोप लगते रहे हैं। 2018 जनवरी में जब प्लांट शुरू हुआ, तब से ही इससे दुर्गंध कम होने का नाम नहीं ले रही। आसपास की करीब दस हजार की आबादी का सांस लेना मुश्किल हो चुका है व इसी कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पिछले साल ही कंपनी को दोबारा एनओसी देने से मना कर दिया था। प्लांट को लेकर बाल आयोग भी रैमकी कंपनी और नगर निगम को नोटिस जारी कर चुका है।
इसके बावजूद प्लांट में कूड़े और गंदे पानी का निस्तारण उचित तरीके से नहीं हो रहा। कूड़े का निस्तारण न होने से वहां कूड़े के पहाड़ बनते जा रहे व गंदा पानी प्लांट के बाहर निकलकर भूमि में ही समा रहा, जबकि यह बेहद हानिकारक है। इसे लेकर नगर आयुक्त ने कंपनी को नोटिस जारी कर जुर्माना लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने इसमें भी 'खेल' कर दिया। जुर्माना तो लगा नहीं अलबत्ता नोटिस में भी कंपनी की मनमानी पर कोई अंकुश नहीं लगाया जा सका।
सवालों में सहसपुर विधायक
शीशमबाड़ा प्लांट से उठने वाले दुर्गंध, इसकी खामियों और स्थानीय ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर आवाज उठाने वाले सहसपुर विधायक सहदेव पुंडीर की चुप्पी सवालों में है। ग्रामीण सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ जमकर भड़ास निकाल रहे हैं और उन पर रैमकी कंपनी से सांठगांठ कर लेने जैसे आरोप भी लगाए जा रहे।
महापौर सुनील उनियाल गामा ने बताया कि रैमकी कंपनी की दूसरे राज्यों से भी लगातार शिकायतें मिल रही हैं। पता चला है कि दो-तीन राज्यों ने प्लांट सही तरीके से न चलाने पर कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। हमारे यहां शीशमबाड़ा में कंपनी पिछले ढाई साल से कूड़ा प्रबंधन प्लांट का संचालन तो कर रही, लेकिन इसमें तमाम खामियां सामने आ रहीं। कूड़ा प्रबंधन ठीक नहीं हो रहा, न ही लिचेड का ट्रीटमेंट किया जा रहा। कंपनी को नोटिस भी भेजा गया है और अगर अब भी स्थिति नहीं सुधरती तो कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी की जाएगी।
विधायक सहसपुर सहदेव सिंह पुंडीर का कहना है कि मैं शुरुआत से ही अपने क्षेत्र में प्लांट बनने के बाद इससे उठ रही दुर्गंध व मेरे क्षेत्र के लोगों को हो रही परेशानी के मुद्दे को उठाता रहा हूं। दो जुलाई को वर्चुअल रैली के दौरान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समक्ष भी मैनें इस मामले को उठाया था। महापौर से भी मिलकर मांग की है कि रैमकी कंपनी से करार तोड़कर इसे ब्लैकलिस्ट किया जाए और प्लांट शिफ्ट किया जाए। इस समस्या के स्थायी समाधान होने तक मैं किसी सूरत में चुप नहीं बैठूंगा। मैं महापौर से जल्द ही दोबारा मुलाकात करूंगा।
नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय कंपनी को दिए नोटिस में समय सीमा तय न करने और सिर्फ खानापूरी किए जाने का मामला बेहद गंभीर है। कंपनी लगातार विफल साबित हो रही है। ऐसे में वह कोई भी रियायत की हकदार नहीं है। जिसने भी कंपनी के साथ ऐसी दरियादिली निभाई है, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई निश्चित की जाएगी।
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