सोलर झालर फैंसिंग रोकेगी गजराज के कदम, प्रयोग सफल रहने के बाद विस्तार की तैयारी
राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व के साथ ही मसूरी और हल्द्वानी वन प्रभागों में यह प्रयोग सफल रहने के बाद अब इसके विस्तार की तैयारी है। प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि एवं प्रबंधन योजना प्राधिकरण (कैंपा) की वार्षिक कार्ययोजना में इसका प्रविधान किया गया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड में यमुना से लेकर शारदा नदी तक के क्षेत्र में जनसामान्य के लिए मुसीबत का सबब बने हाथी अब जंगल की देहरी पार नहीं कर पाएंगे। वन सीमा पर सोलर झालर फैंसिंग गजराज के कदम रोकगी। राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व के साथ ही मसूरी और हल्द्वानी वन प्रभागों में यह प्रयोग सफल रहने के बाद अब इसके विस्तार की तैयारी है। प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि एवं प्रबंधन योजना प्राधिकरण (कैंपा) की वार्षिक कार्ययोजना में इसका प्रविधान किया गया है।
प्रदेश में राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व के साथ ही 12 वन प्रभागों में यमुना से लेकर शारदा नदी तक 6643.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हाथियों का बसेरा है। यही नहीं, इस क्षेत्र में गजराज का कुनबा भी निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 2020 में हुई हाथी गणना के मुताबिक इनकी संख्या 2026 पहुंच गई है। गजराज का बढ़ा कुनबा सुकून देने वाला है, मगर तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। वह है आबादी वाले क्षेत्रों में हाथियों का गहराता आंतक। फिर चाहे वह राजाजी से लगे क्षेत्र हों या फिर कार्बेट अथवा दूसरे वन प्रभागों से सटे इलाके, सभी जगह गजराज ने नींद उड़ाई हुई है। आबादी वाले क्षेत्रों में हाथियों को आने से रोकने के लिए पूर्व में वन सीमा पर हाथी रोधी बाड़, सोलर पावर फैंसिंग, खाई समेत अन्य कदम उठाए गए, मगर ये खास प्रभावी नहीं हो पाए। सोलर पावर फैंसिंग को तो कुछ स्थानों पर हाथियों द्वारा पेड़ों की डालियां फेंककर तोड़े जाने की घटनाएं रिकार्ड की जा चुकी हैं। ऐसे में नए तौर-तरीकों की दिशा में कदम बढ़ा गए।
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राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार तमिलनाडु में वन सीमा पर सोलर झालर फैंसिंग का प्रयोग हाथियों को रोकने में कारगर रहा है। लिहाजा, इसे उत्तराखंड में भी धरातल पर उतारने का निर्णय लिया गया। राजाजी से सटे हरिद्वार क्षेत्र में करीब 37 किलोमीटर क्षेत्र में यह फैंसिंग लगाई गई, जिससे हाथियों को रोकने में खासी मदद मिली। कार्बेट टाइगर रिजर्व के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा मसूरी व हल्द्वानी वन प्रभागों में भी यह प्रयोग सफल रहा। इसे देखते हुए अब अन्य प्रभागों के हाथी के लिहाज से संवेदनशील स्थानों में भी वन सीमा पर सोलर झालर फैंसिंग लगाई जाएगी।
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ऐसे काम करती है फैंसिंग
वन सीमा पर आमतौर पर की जाने वाली सोलर पावर फैंसिंग से हटकर इस फैंसिंग में वन सीमा पर तारों को झालर की तरह लटकाया जाता है। इसमें करंट छोड़ा जाता है, जिससे हाथी जैसे बड़े जानवर झटका लगने पर जंगल की तरफ वापस लौट जाते हैं। साथ ही इसे तोड़ भी नहीं पाते। अलबत्ता, छोटे जानवर झालर के नीचे से आसानी से निकल जाते हैं। तारों को 20 से 25 मीटर के दायरे में खंभे लगाकर लटकाया जाता है।
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