Solar Energy: विश्वविद्यालय और कॉलेजों की तकदीर बदलेगी हरित ऊर्जा, जानिए कैसे
Solar Energy सौर ऊर्जा प्रदेश के सरकारी डिग्री कॉलेजों व विश्वविद्यालयों की माली हालत और तकदीर दोनों को रोशन करने जा रही है।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। Solar Energy सौर ऊर्जा प्रदेश के सरकारी डिग्री कॉलेजों व विश्वविद्यालयों की माली हालत और तकदीर दोनों को रोशन करने जा रही है। पर्यावरण के अनुकूल इस हरित ऊर्जा से इन शिक्षण संस्थाओं को बिजली के बिल में 10 करोड़ की बचत होगी। अतिरिक्त पैदा होने वाली बिजली बेची जा सकेगी। खास बात ये भी है कि इस योजना से जुड़कर उन्हें नैक की रैंकिंग के लिए अतिरिक्त 10 अंक भी मिलेंगे। यानी इन अंकों के बूते ये शिक्षण संस्थाएं उच्च शिक्षा में बढ़ा हुआ दर्जा हासिल कर सकेंगी।
उच्च शिक्षा में हरित ऊर्जा का प्रयोग सभी सरकारी महकमों के लिए नजीर बनने जा रहा है। प्रदेश में 105 सरकारी डिग्री कॉलेज और 12 राजकीय विश्वविद्यालय हैं। ये तमाम कॉलेज और विश्वविद्यालय अपनी खपत के लिए खुद बिजली पैदा करेंगे। उन्होंने ज्यादा बिजली उत्पादित की तो मालामाल भी हो सकेंगे। यह सबकुछ रेस्को मॉडल पर आधारित सोलर प्लांट के बूते मुमकिन होगा। इस योजना से इन संस्थानों में बिजली का खर्च घट कर एक चौथाई रह जाएगा। सोलर प्लांट से खपत से अधिक उत्पादित बिजली को इसी दर पर सरकार खरीदेगी।
कंपनी करेगी 25 वर्ष तक देखरेख
सोलर पावर प्लांट की स्थापना केंद्र सरकार से चयनित कंपनियां अपने खर्चे पर करेंगी। 25 वर्षों तक इस प्लांट की देखरेख का जिम्मा उन्हीं पर होगा। विश्वविद्यालय और कॉलेज सोलर प्लांट लगाने के लिए संबंधित कंपनी को अपने परिसर में भवनों की छत या खुला स्थान उपलब्ध कराएंगे। इस परियोजना के लिए केंद्रीय उपक्रम सोलर एनर्जी कार्पोरेशन लिमिटेड ने चार कंपनियां चिह्नित की हैं। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) से समन्वय कर ये कंपनियां राज्य में रेस्को मॉडल आधारित सोलर पावर प्लांट स्थापित कर रही हैं।
पांच रुपये के बजाय 1.89 रुपये होगा प्रति यूनिट खर्च
वर्तमान में विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों को प्रति यूनिट करीब पांच रुपये की दर से बिजली का भुगतान करना पड़ रहा है। बिजली का सालाना खर्च करीब 20 करोड़ से ज्यादा बैठ रहा है। सौर ऊर्जा से राज्य को बड़ी बचत होगी। शिक्षण संस्थाएं प्रति यूनिट मात्र 1.89 रुपये की दर से बिजली का भुगतान संबंधित कंपनी को करेंगी। एक अनुमान के मुताबिक सौर ऊर्जा की इस योजना से बिजली खर्च में करीब 10 करोड़ की बचत होगी। बिजली खर्च बचने से उच्च शिक्षण संस्थाओं में अन्य संसाधन जुटाए जा सकेंगे।
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उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग सोलर प्लांट स्थापित करने को एक-एक नोडल अधिकारी जल्द नामित करने जा रहा है। ये अधिकारी ऊर्जा निगम और उरेडा विभाग से समन्वय कर सोलर प्लांट के लिए आवेदन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस योजना से विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों को अपनी नैक रैंकिंग सुधारने का मौका मिलेगा।
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