Gangotri National Park में मौजूद हिम तेंदुए का सुंदर संसार, यहां होता है अपार जैव विविधता और कई दुलर्भ वन्यजीवों का दीदार
Gangotri National Park भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से पहली बार गंगोत्री नेशनल पार्क में हिम तेंदुओं की संख्या जारी की गई है। यहां हिम तेंदुआ अरगली भेड़ भरल भूरा भालू सेराव लाल लोमड़ी कस्तूरी मृग हिमालयन वीजल हिमालयी थार जैसे वन्य जीवों की बहुलता है।
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : Gangotri National Park : गंगोत्री नेशनल पार्क हिम तेंदुए के लिए सुरक्षित ठौर साबित हो रहा है। पार्क में करीब 40 हिम तेंदुए हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्लूआइआइ) की ओर से पहली बार गंगोत्री नेशनल पार्क में हिम तेंदुओं की संख्या जारी की गई है। इसके लिए डब्लूआइआइ के विशेषज्ञों ने गंगोत्री नेशनल पार्क में पांच वर्षों तक जैव विविधता, वन्यजीवों की मौजूदगी व विचरण क्षेत्र पर गहन शोध किया।
पार्क का क्षेत्रफल 2390 वर्ग किमी
वर्ष 1989 में स्थापित गंगोत्री नेशनल पार्क का क्षेत्रफल 2390 वर्ग किमी है। पार्क की सीमा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले, टिहरी जिले के खतलिंग ग्लेशियर, चमोली जिले के घस्तौली-माणा क्षेत्र और भारत-चीन सीमा से लगी हुई है। यहां हिम तेंदुआ, अरगली भेड़, भरल, भूरा भालू, सेराव, लाल लोमड़ी, कस्तूरी मृग, हिमालयन वीजल, हिमालयी थार जैसे वन्य जीवों की बहुलता है।
साथ ही हिमालयी मोनाल, पहाड़ी राजालाल, पिलपेट हरी तूती, हिमालयी गिद्ध, हिमालयी कुक्कट, हिमालयी तितर आदि पक्षियों की भी यहां मौजूदगी है। विशेष यह कि बीते कुछ वर्षों में यहां हिम तेंदुए की सक्रियता बढ़ी है। हिम तेंदुए सिर्फ गंगोत्री नेशनल पार्क और डब्लूआइआइ के कैमरा ट्रैप में ही नहीं आए हैं, बल्कि गंगोत्री नेशनल पार्क के कर्मियों, आम पर्यटकों के साथ भारत-चीन सीमा पर तैनात आइटीबीपी, सेना, बीआरओ के अधिकारियों ने भी इन्हें समय-समय पर देखा हैं।
डब्लूआइआइ ने वर्ष 2014 से वर्ष 2019 के बीच गंगोत्री नेशनल पार्क में अध्ययन किया। इसके तहत डब्लूआइआइ की टीम ने 300 से अधिक कैमरा ट्रैप लगाए और इनकी नियमित निगरानी की। साथ ही हिम तेंदुए के पग चिह्न व अन्य गतिविधियों को भी रिकार्ड किया गया। फिर गहन अध्ययन के बाद संस्थान ने 2022 में अपनी रिपोर्ट तैयार की। इसमें उल्लेख है कि पार्क के सौ वर्ग किमी क्षेत्र में कम से कम दो हिम तेंदुओं की मौजूदगी है। जबकि, पूरे पार्क क्षेत्र में इनकी संख्या 34 से 40 तक बताई गई है। पार्क क्षेत्र में समुद्रतल से 3000 मीटर की ऊंचाई से लेकर 5500 मीटर की ऊंचाई तक हिम तेंदुआ की मौजूदगी मिली है।
सौ वर्ग किमी में दो हिम तेंदुए
डब्लूआइआइ की वन्यजीव विशेषज्ञ डा. रंजना पाल कहती हैं कि गंगोत्री नेशनल पार्क के सौ वर्ग किमी क्षेत्र में कम से कम दो हिम तेंदुए हैं। जबकि, अन्य हिम तेंदुए से संबंधित पार्कों में ऐसी सुखद स्थिति नहीं है। इसकी वजह गंगोत्री नेशनल पार्क में पर्यटकों का सीमित संख्या में पहुंचना भी है। पार्क सीमित समय के लिए पर्यटकों की आवाजाही को खोला जाता है। नेलांग घाटी को छोड़कर गोमुख और केदारताल क्षेत्र में भेड़पालकों को जाने अनुमति नहीं है।
पार्क कर्मियों की सतर्कता के कारण हंटिंग व पोचिंग भी नहीं है। इसके अलावा पार्क में बुग्याल, देवदार के जंगल, ग्लेशियर, ट्रांस हिमालय, ऊंची चोटियां व पहाडिय़ों के अलावा भागीरथी, केदारगंगा, जाड़ गंगा सहित कई छोटी नदियां भी हैं। कुछ हिस्सा ऐसा है, जहां मानवीय दखल पूरी तरह शून्य है। यही कारण है कि यह क्षेत्र हिम तेंदुआ की ब्रीडिंग के लिए सुरक्षित है। हिमालयी बकरी यानी भरल (ब्यू शिप) हिम तेंदुआ का मुख्य भोजन है। इनकी संख्या पार्क में बहुत अच्छी है। पार्क में आसानी से भरल के बड़े झुंड दिख जाते हैं।
'गंगोत्री नेशनल पार्क में हिम तेंदुआ की सुरक्षा के साथ पर्याप्त भोजन, सुरक्षित विचरण स्थल हैं। साथ ही पार्क में वन्यजीवों का संतुलन भी काफी अच्छा है। जिससे यहां हिम तेंदुआ की संख्या बढ़ रही है। डब्लूआइआइ की रिपोर्ट में हिम तेंदुआ का बढ़ता परिवार पार्क के स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र की ओर भी इशारा करता है।'
-आरएन पांडेय, उपनिदेशक, गंगोत्री नेशनल पार्क
कैसे पहुंचे:
आप पहले देहरादून आएं। देहरादून गंगोत्री से 300 किमी की दूरी पर स्थित है। गंगोत्री उत्तरकाशी जिले में मौजूद है। आप देहरादून से टैक्सी लेकर यहां पहुंच सकते हैं। देहरादून शहर देश के अन्य बड़े शहरों से हवाई मार्ग और रेल मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
आफलाइन व आनलाइन दोनों तरह किया जा सकता है पंजीकरण
यहां देसी पर्यटकों के लिए 150 रुपये व विदेशी पर्यटकों के लिए 600 रुपये पंजीकरण शुल्क तय किया गया है। पंजीकरण आफलाइन व आनलाइन दोनों तरह किया जा सकता है। आनलाइन पंजीकरण swstourismuki.com पर किया जा सकता है।