कोरोना कॉल में घटा रावण का कद
इस बार दशहरे पर रावण कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले तो नजर आएंगे लेकिन खास अंदाज में।
जागरण संवाददाता, देहरादून: इस बार दशहरे पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले तो नजर आएंगे, लेकिन खास अंदाज में। रावण के चेहरे पर मास्क लगा होगा तो कुंभकर्ण और मेघनाद के हाथों में तलवार और ढाल की जगह सैनिटाइजर की बोतल और थर्मल स्क्रीनिंग मशीन होगी। इतना ही नहीं, इस बार पुतलों का कद भी कम होगा। दशहरा मैदान में इन पुतलों की बीच की दूरी 40 की बजाय 50 मीटर रखी जाएगी। मकसद है, दर्शकों को कोरोना के प्रति जागरूक किया जाए। उन्हें शारीरिक दूरी के मानकों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
देहरादून में प्रमुख रूप से परेड ग्राउंड, दशहरा ग्राउंड प्रेमनगर, पटेलनगर, राजपुर, हिदू नेशनल स्कूल और धर्मपुर में रावण दहन किया जाता है। इसके लिए करीब बीस से 22 पुतले बनाए जाते हैं। इन पुतलों की लंबाई 50 से 65 फीट तक होती है। दशहरा कमेटी बन्नू बिरादरी के अध्यक्ष संतोख नागपाल ने बताया कि इस बार दर्शकों को कोरोना के प्रति जागरूक करने के लिए कुछ परिवर्तन किए गए हैं। इसके अलावा रावण दहन पर भीड़ एकत्र न हो, इसलिए दहन ऑनलाइन देखा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि रावण के पुतले की लंबाई 30 फीट रखी गई है।
धर्मशाला समिति दशहरा कमेटी प्रेमनगर के संरक्षक संदीप पुंज भी कहते हैं कि उनकी कमेटी भी इस बार तीस फीट का पुतला बनवा रही है। पुतला दहन में आमजन से भाग न लेने की अपील की जा रही है। स्थानीय केबल आपरेटर के सहयोग से इसका प्रसारण किया जाएगा।
----------
एक पुतला बनाने में 50 हजार से एक लाख तक का खर्चा
देहरादून में दशहरा से एक महीने पहले पुतले बनाने के लिए स्थानीय कलाकारों के अलावा गोरखपुर, हल्द्वानी, बिजनौर, मुरादाबाद, वृंदावन से 60 से 70 कारीगर आते हैं। एक पुतला को बनाने में समिति का लगभग 50 हजार से एक लाख 20 हजार तक का खर्चा आता है। हालांकि इस बार अधिकतर आयोजक समितियों ने पुतला दहन कार्यक्रम स्थगित किए हैं। इसका प्रभाव पुतला बनाने वाले कारीगरों पर भी पड़ा है। वर्ष 1948 से देहरादून में गिरीश का परिवार पुतला बनाने का कार्य करता आ रहा है। गिरीश बताते हैं कि बीते वर्ष उन्होंने 15 पुतले तैयार किए थे, जिनमें स्कूलों में आयोजित होने वाले पुतला दहन के लिए भी ऑर्डर मिलते थे। लेकिन इस बार सिर्फ तीन ही पुतले बनाने का ऑर्डर मिला है।