छात्रवृत्ति घोटाला: गिरफ्तारी को कोर्ट से वारंट लेगी एसआइटी
छात्रवृत्ति घोटाले में फंसे जनजाति कल्याण निदेशालय के उप निदेशक अनुराग शंखधर की गिरफ्तारी को एसआइटी ने कोर्ट से वारंट लेने की तैयारी कर ली है।
देहरादून, जेएनएन। दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में फंसे जनजाति कल्याण निदेशालय के उप निदेशक (पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी) अनुराग शंखधर की गिरफ्तारी को एसआइटी ने कोर्ट से वारंट लेने की तैयारी कर ली है। इस मामले में हरिद्वार सीजेएम कोर्ट से वारंट के लिए अर्जी दाखिल की जाएगी। एसआइटी सूत्रों का कहना है कि एक सप्ताह में अगर शंखधर खुद सामने नहीं आए तो उनके ठिकानों पर छापेमारी की जाएगी। उधर, दून में दर्ज मुकदमे में एसआइटी आरोपित कॉलेज संचालकों के खिलाफ सबूत जुटा रही है।
हरिद्वार और देहरादून जनपद में बतौर समाज कल्याण अधिकारी तैनात रहे उप निदेशक अनुराग शंखधर पर करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति बांटने का आरोप है। एसआइटी की जांच में हरिद्वार के छह कॉलेज ऐसे पकड़े गए, जिनमें फर्जी छात्रों के नाम पर करोड़ों रुपये आवंटित किए गए हैं। इसी तरह दून के प्रेमनगर क्षेत्र के कॉलेजों पर भी खूब मेहरबानी हुई है।
साल 2012 से 2017 के बीच यह छात्रवृत्ति बांटी गई है। इस मामले में शंखधर की भूमिका जांच में स्पष्ट हो चुकी है। एसआइटी शंखधर के खिलाफ भ्रष्टाचार और सरकारी धन के गबन का मुकदमा दर्ज कर चुकी है। एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी का कहना है कि मुकदमे के बाद गिरफ्तारी के लिए शासन की अनुमति मांगी गई थी। शासन से अनुमति मिल गई है। अब आरोपित के खिलाफ कोर्ट से वारंट लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दून के कॉलेजों के खिलाफ भी जल्द कार्रवाई होगी। इसके लिए विवेचना जारी है।
छात्रवृत्ति घोटाले में अब छात्रों से होगी पूछताछ
छात्रवृत्ति घोटाले में कॉलेज संचालकों और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों पर शिकंजा कसने के साथ ही छात्रों से पूछताछ भी शुरू हो गई है। एसआइटी ने ऐसे लगभग 100 से अधिक छात्रों को नोटिस भेजे हैं, जिनके नाम से अलग-अलग संस्थानों ने लगातार कई साल तक छात्रवृत्ति बटोरी हैं। नोटिस मिलने पर छात्र अपने बयान दर्ज कराने एसआइटी दफ्तर पहुंचने लगे हैं।
छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआइटी ने अभी तक की पड़ताल में ऐसे कई पहलुओं को छुआ है, जिनसे बड़े और पाक-साफ चेहरों से शराफत का नकाब उतरा है। संस्थानों ने विभाग की मिलीभगत से पूरे खेल को अंजाम दिया, यह बात एसआइटी की जांच में साफ हो चुकी है। साथ ही, यह भी पता चला है कि छात्रों के दस्तावेजों की भी संस्थानों ने आपस में बंदरबांट की। सूत्र बताते हैं कि संस्थानों की तरफ से कुछ एजेंट घूम-घूमकर छात्रों से उनके दस्तावेज इकट्ठा करने का काम करते थे। एजेंट मुफ्त पढ़ाई का झांसा देकर छात्रों से उनके प्रमाण पत्र ले लेते थे।
कुछ छात्रों को पैसे देकर भी दस्तावेज जुटाए जाने की बात सामने आई है। दस्तावेजों से छात्रवृत्ति लेने के बाद कई संस्थान आपस में दस्तावेजों की अदला-बदली करते थे। कई छात्र ऐसे भी मिले हैं, जिन्हें एक संस्थान ने बीटेक का छात्र बताकर छात्रवृत्ति ली है, अगले साल दूसरे संस्थान ने उसी छात्र को आइटीआई का छात्र दिखाकर रकम डकार ली। एसआइटी ने ऐसे लगभग 100 छात्रों को चिह्नित किया है, जिनके नाम से अलग-अलग संस्थानों ने लगातार कई साल तक छात्रवृत्ति ली है।
पूछताछ को आए कई छात्रों ने खुलासा किया है कि उन्हें समाज कल्याण विभाग से उनके नाम से छात्रवृत्ति लेने की भनक तक नहीं है। मतलब साफ है कि शिक्षण संस्थान, अधिकारी और नेताओं ने मिलकर जरूरतमंदों का हक हजम किया है। वहीं एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि घोटाले के हर पहलू पर बारीकी से छानबीन की जा रही है।
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