एराइज इंडिया कंपनी में डेढ़ करोड़ की ठगी की एसआइटी करेगी जांच, जानिए पूरा मामला
एराइज इंडिया हिमालय निधि लिमिटेड के नाम पर करोड़ों की ठगी करने के मामले को डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने मामले की जांच के लिए एसपी क्राइम लोकजीत सिंह के नेतृत्व में एसआइटी गठित कर दी है।
देहरादून, जेएनएन। एराइज इंडिया हिमालय निधि लिमिटेड के नाम पर करोड़ों की ठगी करने के मामले को डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने मामले की जांच के लिए एसपी क्राइम लोकजीत सिंह के नेतृत्व में एसआइटी गठित कर दी है। इस मामले में अब तक एक करोड़ 50 लाख की ठगी सामने आई है, जबकि पुलिस ने विभिन्न थानों में आठ मुकदमे दर्ज कर लिए हैं।
डीआइजी ने शनिवार को कंपनी के पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज हो रहे मुकदमों की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान सामने आया कि कंपनी के मुख्य प्रबंध निदेशक नितिन श्रीवास्तव, क्षेत्रीय प्रबंधक कपिल देव शर्मा व निदेशक अनिरुद्ध तिवारी ने कुछ व्यक्तियों के साथ मिलकर जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में भोले भोले व्यक्तियों को ज्यादा ब्याज का लालच देकर उनसे आवर्ती जमा (आरडी), सावधि जमा(एफडी) खुलवाई। अवधि पूरी होने के बाद पदाधिकारियों ने पैसा वापस देने से मना कर दिया।
डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि जिस तरह से ठगी के मामले बढ़ रहे हैं, उससे साबित होता है कि आरोपितों ने कई व्यक्तियों से धोखाधड़ी की है। आरोपितों की शीघ्र गिरफ्तारी, गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत मुकदमें दर्ज करने व धोखाधड़ी कर अर्जित की गई धनराशि और संपति को जब्त करने के लिए एसपी क्राइम को निर्देशित किया गया है।
आठ मुकदमे हो चुके हैं दर्ज
धोखाधड़ी के मामले में अब तक आठ विभिन्न थानों में पुलिस मुकदमें दर्ज कर चुकी है। इनमें कैंट कोतवाली में दो जबकि डालनवाला कोतवाली, प्रेमनगर, विकासनगर, ऋषिकेश और रायवाला थाने में एक-एक मुकदमा दर्ज हो चुका है।
85 व्यक्तियों से ठगे 25 लाख रुपये
प्रेमनगर थाना पुलिस ने 25 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने पर तीन व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। कंडोली प्रेमनगर निवासी किरन बाला ने बताया कि वह एराइज इंडिया हिमालयन निधि की शाखा सुद्धोवाला में शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत थी। मार्च 2018 में सुनील वर्मा ने उन्हें कंपनी के बारे में बताया व क्षेत्रीय प्रबंधक अखिलेश कुमार झा, नितिन श्रीवास्तव और अनिरुद्ध से मुलाकात कराई।
अप्रैल 2018 में आरोपितों ने किरन बाला को प्रबंधक के पद पर ज्वाइनिंग दी व स्थानीय व्यक्तियों को सदस्य बनाकर आठ से 12 प्रतिशत बयान देने का प्रलोभन दिया। किरन बाला ने बताया कि उनकी शाखा में 85 सदस्यों ने करीब 25 लाख रुपये एकत्रित किए। एक साल पूरा होने पर मैच्योरिटी भुगतान करने के लिए आरोपितों ने टालना शुरू कर दिया। इसके बाद आरोपितों ने सारा पैसा हड़प लिया।