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अब फर्जी डिग्रियां बेचने वाले गिरोह की तलाश

एसआइटी अब फर्जी डिग्री बेचने वाले गैंग की तलाश में जुट गई है। अगर गैंग पकड़ में आता है तो फर्जी डिग्रीधारी शिक्षकों की सूची भी पता चल सकती है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 09 Oct 2017 03:37 PM (IST)Updated: Mon, 09 Oct 2017 10:53 PM (IST)
अब फर्जी डिग्रियां बेचने वाले गिरोह की तलाश
अब फर्जी डिग्रियां बेचने वाले गिरोह की तलाश

देहरादून, [संतोष भट्ट]: प्रदेश में फर्जी शिक्षकों के पास मेरठ, कानपुर, इलाहाबाद से सबसे ज्यादा डिग्रियां मिली हैं। एसआइटी की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। एसआइटी अब फर्जी डिग्री बेचने वाले गैंग की तलाश में जुट गई है। गैंग पकड़ में आया तो फर्जी डिग्रीधारी शिक्षकों की लंबी सूची सामने आ सकती है।

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 राज्य में 1990 और 2005 तक यूपी से बीएड, बीटीसी की डिग्रीधारी सबसे ज्यादा शिक्षकों की नौकरी लगी हैं। सरकारी स्कूलों में इन शिक्षकों की संख्या हजारों में हैं। इनकी डिग्रियां मेरठ, कानपुर, इलाहाबाद में संचालित ऐसे संस्थानों की है, जिन पर अंगुलियां उठती रही हैं। हरिद्वार में पकड़ में आए 12 राजकीय प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के पास 1996 से 1999 के बीच की इन्ही संस्थानों की डिग्री है। 

इसके अलावा हर्रावाला स्थित अनुदानित सावित्री शिक्षा निकेतन जूनियर हाईस्कूल में भी चार ऐसे शिक्षकों के पास फर्जी डिग्री उप्र की मिली हैं। अभी तक फर्जी डिग्री से नौकरी पाने वालों की संख्या 18 से ज्यादा पहुंच गई है। जबकि एसआइटी की जांच में के दायरे में शामिल 2200 शिक्षकों में से सैकड़ों की डिग्री भी उक्त संस्थानों की होने की आशंका जताई जा रही है। 

जांच में यह भी भी सामने आया कि फर्जी डिग्री हासिल करने वाले शिक्षक भी मूल रूप से यूपी के रहने वाले हैं। एसआइटी को मिले इनपुट से यह भी साफ हो रहा है कि गिरोह ने उत्तराखंड के विभिन्न स्कूलों में नौकरी पाने वाले इन शिक्षकों को फर्जी डिग्रियां बेची हैं। इसके चलते एसआइटी ने उप्र और उत्तराखंड में बीएड, बीटीसी, डीएलएड, शिक्षा विशारद समेत अन्य कोर्स कराने वाली संस्थाओं को रडार पर लिया है। गिरोह के पकड़ में आने पर कई और चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। 

 अनुदान वालों पर ज्यादा शक 

एसआइटी को शक है कि अनुदान पाने वाले अशासकीय स्कूलों में नौकरीपाने वाले अधिकांश उप्र से डिग्रीधारी हैं। ऐसे में इनके माध्यम से एसआइटी गैंग तक पहुंच सकती है। इसके अलावा यूपी के बिजनौर, मुरादाबाद और इलाहाबाद से नाता रखने वाले शिक्षक भी संदेह के घेरे में हैं। 

 गढ़वाल और कुमाऊं में सक्रिय 

बेरोजगार युवकों को दूसरे राज्यों से डिग्री दिलाने के नाम पर कुछ संस्थाएं और उनके एजेंट मोटी रकम लेकर बीएड, एमएड, डीएलएड, बीटीसी आदि डिग्रियां बांट रहे हैं। इनमें से कुछ ने अपने शिक्षण संस्थान भी खोले हुए हैं। 

 एएसपी/एसआइटी प्रभारी श्वेता चौबे का कहना है कि उप्र से डिग्री पाने वाले शिक्षकों की जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। देहरादून में हर्रावाला स्थित एक स्कूल के चार और हरिद्वार जिले के विभिन्न स्कूलों में 12 शिक्षकों की फर्जी डिग्रियां फर्जी पाई जा चुकी है। ये सभी उप्र के कालेजों से जारी हुई थीं। ऐसे में डिग्री बेचने वाले गिरोह के राज्य में सक्रिय होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है। एसआइटी मामले की तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। 

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