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राजाजी में मांस बरादमगी प्रकरण की एसआइटी जांच!

राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज के दूधिया ब्लाक में हुई खाल और मांस लगी हड्डियों की बरामदगी के मामले में मौजूदा जांच अधिकारी द्वारा वनकर्मियों को दोषी ठहराते हुए तीन कार्मिकों के निलंबन की संस्तुति के बाद प्रकरण और गरमा गया है।

By Edited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 10:20 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 11:57 AM (IST)
राजाजी में मांस बरादमगी प्रकरण की एसआइटी जांच!
राजाजी में मांस बरादमगी प्रकरण की एसआइटी जांच!
राज्य ब्यूरो, देहरादून राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज के दूधिया ब्लाक में हुई खाल और मांस लगी हड्डियों की बरामदगी के मामले में मौजूदा जांच अधिकारी द्वारा वनकर्मियों को दोषी ठहराते हुए तीन कार्मिकों के निलंबन की संस्तुति के बाद प्रकरण और गरमा गया है। इसके साथ ही वन मुख्यालय और राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन के मध्य रार और बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इस सबको देखते हुए अब पूरे प्रकरण की एसआइटी जांच पर जोर दिया जा रहा है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के मुताबिक वह पहले ही एसआइटी जांच की संस्तुति कर चुके हैं। यह फाइल अभी मुख्यमंत्री कार्यालय से लौटी नहीं है। लिहाजा, वह एक बार फिर मुख्यमंत्री से इस संबंध में वार्ता करेंगे। वन विभाग के मुखिया जयराज के निर्देश पर वन मुख्यालय की टीम ने बीती 22 मार्च को दूधिया ब्लाक में छापा मारा। इस दौरान वहां से गुलदार की पुरानी खाल के साथ ही कुछ मांस और हड्डियां बरामद हुई। राजाजी पार्क प्रशासन ने मामले की जांच तत्कालीन वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह को सौंपी। प्रकरण में एक गिरफ्तारी हुई, जबकि तीन आरोपितों ने समर्पण किया। इस मामले में वन मुख्यालय एवं राजाजी रिजर्व के मध्य तब से रार छिड़ी हुई है। विभाग की छीछालेदर के बाद प्रकरण की जांच तेज तर्रार आइएफएस संजीव चतुर्वेदी से कराने का निर्णय लिया गया, लेकिन फिर जांच अधिकारी बदलकर मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन को जांच सौंप दी गई। जांच अधिकारी मनोज चंद्रन ने हाल में विभाग प्रमुख को सौंपी जांच रिपोर्ट में इस प्रकरण में राजाजी रिजर्व के कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए तीन कार्मिकों के निलंबन की संस्तुति की। इसके साथ ही इन कार्मिकों के अलावा रिजर्व के निदेशक और तत्कालीन जांच अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब किया गया। इसके बाद से कार्मिकों में रोष व्याप्त है और अब वे आंदोलन के मूड में हैं। निष्पक्ष जांच को एसआइटी जरूरी परिणामस्वरूप मामला फिर से गरमा गया है और कार्मिकों की ओर से प्रकरण की एसआइटी जांच की मांग उठाई जा रही है। सूत्रों ने बताया कि सहायक वन कर्मचारी संघ और वन आरक्षी-वन बीट अधिकारी संघ की राजाजी टाइगर रिजर्व इकाइयों की ओर से इस संबध में अपने संघों के प्रांतीय नेतृत्व को पत्र भेजे हैं। इनमें जांच अधिकारी की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि वे इससे संतुष्ट नहीं हैं। मांग की गई है कि दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए प्रकरण की एसआइटी जांच कराई जाए। ऐसा न होने की दशा में आंदोलन की चेतावनी दी गई है। इसे देखते हुए दोनों संघों के प्रांतीय नेतृत्व मंथन में जुटे हैं।

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