बस दो दिन की छुट्टी लेकर घर आ जाओ, एक प्यारी डोर बंधा जाओ
देश की रक्षा के लिए सरहद पर तैनात जवानों को उनकी बहनें हर साल इसी भावना कीे साथ याद करती हैं कि वो इस बार आकर अपनी कलार्इ पर उनके प्यार का धागा बंधवाएंगे।
देहरादून, [जेएनएन]: 'पता है मुझे देश की रक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है, लेकिन राखी पर घर नहीं आते, ऐसी क्या मजबूरी है। अक्सर दिल ये कहता है कि सरहद पर मिलने जाऊं, लेकिन वहां हर पल सेना का पहरा रहता है। बस दो दिन की छुट्टी लेकर मुझसे मिलने आ जाओ, प्यारी सी एक डोर हाथ में आकर जरा बंधा जाओ।' ये हर उस बहन के मन का भाव हैं, जिनके भाई घर से कई किमी दूर सरहद पर देश की रक्षा में डटे हैं। वह कई सालों से रक्षाबंधन पर घर नहीं आए। पर इस सबके बीच भी बहन को इस बात का फख्र है कि भाई देश के प्रति अपना फर्ज निभा रहा है।
नत्थनपुर निवासी धन्नू नेगी के दो भाई देवेंद्र सिंह और विक्रम सिंह कठैत सेना में हैं। दो भाइयों की इकलौती बहन ने न जाने कब से भाईयों के साथ रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया। वर्तमान में बड़े भाई देवेंद्र की पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में और छोटे भाई विक्रम की पंजाब में है।
धन्नू पिछले नौ साल से अपने भाइयों को डाक द्वारा ही राखी भेज रही हैं। वह कहती हैं कि कई बार ऐसा भी हुआ है कि भाइयों को समय से राखी नहीं पहुंची। मूल रूप से चमोली के रहने वाली धन्नू ने बताया कि सबकी शादी हो चुकी है। बड़े भाई को सेना में करीब पंद्रह और छोटे भाई को दस साल हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके पति देवेंद्र सिंह नेगी भी सेना में हैं। उनके दादा और पिता भी सेना में रहकर देश की सेवा कर चुके हैं।
उनका कहना है कि सैन्य परिवार से होने के कारण उन्हें शुरू से ही सैनिक परिवार के संघर्ष को करीब से देखा है। उन्हें गर्व है कि वह एक फौजी की पोती, बेटी, बहन और पत्नी हैं।
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