एनओसी के बिना चल रहा शीशमबाड़ा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
देहरादून के शीशमबाड़ा में बनाया गया सूबे का पहला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट व रिसाइक्लिंग प्लांट पिछले वर्ष अगस्त से बिना एनओसी चल रहा।
देहरादून, जेएनएन। कूड़ा निस्तारण में फेल हो चुका शीशमबाड़ा में बनाया गया सूबे का पहला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट व रिसाइक्लिंग प्लांट पिछले वर्ष अगस्त से बिना एनओसी चल रहा। प्लांट प्रबंधन की ओर से एनओसी का आवेदन किया गया था, लेकिन प्लांट में खामियों के चलते प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनओसी दी ही नहीं। मार्च में कोरोना संक्रमण के चलते बोर्ड ने प्लांट प्रबंधन को 30 जून तक की मोहलत दे दी थी, जो अब बीत गई। इसके बावजूद प्लांट प्रबंधन ने एनओसी लेने की जहमत नहीं उठाई।
प्लांट का संचालन कर रही रैमकी कंपनी को हर वर्ष प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से 'कंसर्न टू ऑपरेट' एनओसी लेना जरूरी है, लेकिन गत वर्ष बोर्ड ने प्लांट को एनओसी नहीं दी थी। प्लांट को मिली एनओसी अगस्त-19 में खत्म हो गई थी। इसके बाद अवैध रूप से प्लांट में कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है। एनओसी नहीं देने के पीछे प्लांट में चल रही गड़बड़िया वजह बताई जा रहीं। प्लांट मैनेजर अहसान सैफी ने बताया कि बोर्ड में एनओसी का आवेदन किया हुआ है। जल्द एनओसी मिल सकती है। इधर, दुर्गध उठने और गंदे पानी लिचेड का ट्रीटमेंट नहीं होने पर महापौर सुनील उनियाल गामा और नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय भी खासे नाराज हैं। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारी को प्लांट की दैनिक रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं।
नहीं छूट रहा विवादों से नाता
जनवरी-2017 में शुरू हुआ प्रदेश के पहले सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का दो साल बाद भी विवादों से नाता नहीं छूट रहा है। जन-विरोध के चलते यह प्लांट सरकार के लिए पहले ही मुसीबत बना है और अब प्लांट प्रबंधन की लापरवाही सरकार के सिर का दर्द बनती जा रही। दावे किए जा रहे थे कि यह पहला वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट है, जो पूरी कवर्ड है और इससे किसी भी तरह की दुर्गध बाहर नहीं आएगी, मगर नगर निगम के यह दावे तो शुरुआत में ही हवा हो गया था। उद्घाटन के महज ढाई साल के भीतर अब यह प्लांट कूड़ा निस्तारण में भी 'फेल' हो चुका है। यहां न तो कूड़े का निरस्तारण हो रहा, न ही कूड़े से निकलने वाले दुर्गध से युक्त गंदे पानी (लिचेड) का। स्थिति ये है कि यहां कूड़े के पहाड़ बन चुके हैं और गंदा पानी बाहर नदी में मिल रहा। दुर्गध के चलते स्थानीय विधायक सहदेव सिंह पुंडीर समेत समूचे क्षेत्र की जनता प्लांट को हटाने की मांग कर रहे।
हर माह 95 लाख हो रहे खर्च
नगर निगम द्वारा प्लाट का संचालन कर रही रैमकी कंपनी को हर माह कूड़ा उठान से लेकर रिसाइकिलिंग के लिए 95 लाख रुपए दिए जा रहे हैं लेकिन, इस रकम का कारगर उपयोग नहीं हो रहा। प्लाट में सड़ रहा कूड़ा लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है।
कूड़ा उठान में भी कंपनी नाकाम
डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन कर रही रैमकी कंपनी से जुड़ी चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी भी कूड़ा उठान में भी नाकाम साबित हो रही है। कंपनी की ओर से शहर के साठ वार्डो में कूड़ा उठान के दावे किए जा रहे हैं लेकिन स्थिति यह है कि इसकी गाड़ी एक एक हफ्ते तक वार्ड में नहीं जा रही। पार्षद से लेकर आमजन तक इसका विरोध जता चुके हैं। लगातार शिकायतें बढ़ती जा रहीं।
कंपनी को नया नोटिस, राशि में कटौती
बुधवार को नगर आयुक्त के आदेश पर वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. आरके सिंह ने रैमकी कंपनी को नया नोटिस जारी किया है। इसमें तमाम खामियां गिनाते हुए एक माह के भीतर इन्हें दूर करने के निर्देश दिए गए हैं। नगर आयुक्त ने हर माह कंपनी को दी जा रही राशि में 25 फीसद कटौती के आदेश भी दिए हैं। अगर तीस दिन के भीतर खामियों को दूर नहीं किया गया तो कंपनी के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
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बोले अधिकारी
विनय शंकर पांडेय (नगर आयुक्त) का कहना है कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लाट को लेकर जो भी शिकायतें मिली हैं, उसका गंभीरता से निस्तारण किया जा रहा। कंपनी को एक और नोटिस भेजा गया है। हर माह कंपनी को देय राशि में भी 25 फीसद तक कटौती की जा रही है।