सन्नाटा समेटे हैं होटल, ढाबे, रिसॉर्ट और रेस्टोरेंट
भगत सिंह तोमर साहिया कोरोना महामारी ने पर्यटन व्यवसाय चौपट कर दिया है। गर्मी के दिनों में जहां पर्यटकों का तांता लगा रहता था वहीं इन दिनों सन्नाटा पसरा है।
भगत सिंह तोमर, साहिया:
कोरोना महामारी ने पर्यटन व्यवसाय चौपट कर दिया है। गर्मी के दिनों में जौनसार-बावर के पर्यटन स्थलों पर जहां पर्यटकों का तांता रहता था, आज यहां पर सन्नाटा पसरा है। होटल, ढाबे, रिसॉट और रेस्टोरेंट में सन्नाटा और वीरानी है। मार्च 2020 से अब तक पर्यटन व्यवसाय से जुड़े छोटे बड़े व्यापारी घाटा ही झेलते आ रहे हैं, जिसका असर कारीगरों, मजदूरों और श्रमिकों पर भी पड़ रहा है, साथ ही पर्यटकों के न आने से कालसी, साहिया समेत अन्य बाजारों पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। पर्यटकों के न आने से स्थानीय वे युवा भी खाली हाथ हैं, जिन्हें पर्यटकों के आने से हाथ में रोजगार भी मिल जाता था।
जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर में चकराता, लोखंडी, बुधेर, टाइगर फाल, खंडबा, नागथात, चुरानी छानी समेत अनेक पर्यटन स्थल हैं, जहां के विहंगम और खूबसूरत नजारे ऐसे हैं कि पर्यटक उन्हें कैमरे में कैद किए बिना नहीं रह पाते। पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के आने से जौनसार-बावर के बाजार ही नहीं, बल्कि पछवादून तक के व्यापारियों को फायदा मिलता है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते पहाडों की खूबसूरती के दीदार को इस बार पर्यटक नदारद हैं। पर्यटन सीजन में गुलजार रहने वाली हसीन वादियों में सन्नाटा पसरा हुआ है। घाटा होने से होटल व्यवसायियों और व्यापारियों में मायूसी छाई है। हिल स्टेशन से सैलानियों की चहलकदमी पूरी तरह गायब है। सड़कें सूनी हैं, रिसॉट, होटल, ढाबे
सभी में सन्नाटा पसरा है। आम तौर पर मई, जून माह में पर्यटकों का हुजूम देखने को मिलता था, लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने हर तरफ अजीब सी वीरानी छा दी है। वर्तमान में यहां प्रकृति की नेमत बरस रही है, रंग बिरंगे फूलों से प्रकृति ने मानो श्रृंगार किया हो, देवदार और बाज बुंरास के जंगल शीतलता का अहसास करा रहे हैं। लेकिन इस हसीन नजारों का आनंद लेने को इस बार पर्यटक नहीं है। व्यवसायी दिनेश चांदना, दीवान सिंह तोमर, कमल रावत, पंकज चौहान, विवेक अग्रवाल आदि का कहना है कि कोरोना की वजह से पर्यटन सीजन में बहुत घाटा हुआ है। कोरोना की वजह से स्थानीय लोग अपने घरों में कैद हैं, स्थानीय कारोबारी कोरोना केस कम होने पर कारोबार सुधरने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।