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तीर्थ पुरोहित हक-हकूक धारी महापंचायत का एलान, देवस्थानम के खिलाफ जाएंगे कोर्ट Dehradun News

चारधामों सहित राज्य के 50 मंदिरों का देवस्थानम अधिनियम बनाकर नियंत्रण अपने हाथों में लिए जाने का देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक-हकूक धारी महापंचायत ने विरोध किया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 04:19 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 04:19 PM (IST)
तीर्थ पुरोहित हक-हकूक धारी महापंचायत का एलान, देवस्थानम के खिलाफ जाएंगे कोर्ट Dehradun News
तीर्थ पुरोहित हक-हकूक धारी महापंचायत का एलान, देवस्थानम के खिलाफ जाएंगे कोर्ट Dehradun News

ऋषिकेश, जेएनएन। सरकार के चारधामों सहित राज्य के 50 मंदिरों का देवस्थानम अधिनियम बनाकर नियंत्रण अपने हाथों में लिए जाने का देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक-हकूक धारी महापंचायत ने विरोध किया। सरकार के इस फैसले के खिलाफ महापंचायत ने उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिका दायर करने का एलान किया है। 

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ऋषिकेश के भगवान आश्रम में गुरुवार को आयोजित देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक-हकूक धारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल की अध्यक्षता और महामंत्री हरीश डिमरी के संचालन में बैठक आयोजित हुई। अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार जहां एक ओर अपने आप को पूरी तरह धर्म से जुड़ी मानती है। वहीं वह उत्तराखंड देवभूमि के विश्वविख्यात चारों धामों सहित उन 50 मंदिरों का नियंत्रण सरकारी हाथों में दिए जाने की योजना पर अमल कर रही है। इनका संचालन तीर्थ पुरोहितों द्वारा किया जाता है, जिसे उत्तराखंड के हक-हकूक धारी कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। 

इसे लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में देश के विख्यात अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा याचिका भी दायर की गई है। कोठियाल का कहना है कि इस अधिनियम को लाने से पूर्व भाजपा सरकार द्वारा तीर्थ पुरोहित समाज को विश्वास में नहीं लिया गया है, जिसके कारण आज पूरा समाज अपने आप को अपमानित महसूस किए जाने के साथ ठगा हुआ समझ रहा है। उन्होंने कहा कि इन मंदिरों के प्रचार प्रसार के लिए उत्तराखंड का तीर्थ पुरोहित समाज देश ही नहीं पूरे विश्व में भ्रमण करता है। 

पुरोहित समाज ने इसे अपनी आन बान शान के साथ रोजी रोटी से भी जोड़ लिया है, क्योंकि समाज के लोग अनादि काल से इन मंदिरों से ही अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज ने निर्णय लिया है कि सरकार द्वारा थोपे जाने वाले देवस्थानम अधिनियम के विरोध में अलग-अलग स्थानों से भी अलग-अलग याचिकाएं दायर की जाएंगी। इसी के साथ केंद्र सरकार को भी राज्य सरकार के निर्णय से अवगत कराया जाएगा। बैठक में यह भी कहा गया कि उच्च न्यायालय में जो याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा डाली गई है वह तीर्थ पुरोहित समाज के सामूहिक प्रयास का ही प्रतिफल है। 

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बैठक में लक्ष्मी नारायण जुगरान, संयोजक सुरेश सेमवाल, विनोद डिमरी, अनिरुद्ध उनियाल, षड्दर्शन साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल गिरी, निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर भूपेंद्र गिरी, प्रेम बल्लभ सेमवाल, संजीव सेमवाल, विनोद कोठियाल, रविंदर सेमवाल, अशोक सेमवाल, कुबेरनाथ पोस्ती, विनोद शुक्ला, जगमोहन उनियाल, महेश सेमवाल, अरुण सेमवाल, ईश्वर उनियाल, प्रकाश सेमवाल, सुरेश सेमवाल, डॉ. जमुना प्रसाद, दीपक सेमवाल, केशव तिवारी, मुकेश सेमवाल, डॉ. बृजेश सती, रजनीकांत सेमवाल आदि उपस्थित थे। 

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