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नए साल में श्रीदेव सुमन विवि शोध व मूल्यांकन के देगा तरजीह

नए साल पर श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय शोध व समय पर मूल्यांकन कार्य संपन्न करने पर जोर देगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 08:07 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 08:07 PM (IST)
नए साल में श्रीदेव सुमन विवि शोध व मूल्यांकन के देगा तरजीह
नए साल में श्रीदेव सुमन विवि शोध व मूल्यांकन के देगा तरजीह

जागरण संवाददाता, देहरादून : नए साल पर श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय शोध व समय पर मूल्यांकन कार्य संपन्न करने पर जोर देगा। शुक्रवार को विवि के कुलपति डॉ. पीपी ध्यानी की अध्यक्षता में नए साल की पहली बैठक में संकल्प लिया कि सीमित संसाधन सहित सीमित कर्मचारियों की संख्या के बावजूद वार्षिक कैलेंडर के अनुरूप विवि संचालित होगा।

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विवि के बादशाहीथौल परिसर में बैठक को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. पीपी ध्यानी ने विवि के अधिकारियों व कर्मचारियों को नववर्ष को नई चुनौती के रूप में लेने की नसीहत दी। कहा कि अधिकारी व कर्मचारी छात्रों की समस्याओं का समयानुसार निदान करें। रुके हुए परीक्षा परिणामों को शीघ्र जारी करें। शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखें। उन्होंने कहा कि इस साल का सत्र शुरू होते ही पीएचडी शुरू हो जाएगी। बैठक में विवि के अधिकारियों ने कुलपति के पूर्व आदेशों पर की गई कार्यवाही का विवरण प्रस्तुत किया। उप कुलसचिव दिनेश चंद्रा ने बताया कि श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध सभी निजी संस्थानों की संबद्धता रिन्यूअल की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है। कई संस्थानों की संबद्धता दस्तावेजों की जांच अंतिम चरण में है। निजी संस्थानों की मान्यता प्रणाली को पूर्ण रूप से जवाबदेही व पारदर्शी बनाया जा रहा है।

बैठक में विवि की वित्त नियंत्रक स्मृति खंड्ड़ी, परीक्षा नियत्रक डॉ. आरएस चौहान, सहायक परीक्षा नियंत्रक बीएल आर्य, डॉ. हेमंत बिष्ट, निजी सचिव कुलपति कुलदीप सिंह नेगी, एसडी नौटियाल, जसवंत बिष्ट, वाइएस भंडारी, अमित सजवाण, पवन रतूड़ी, आजाद प्रसाद आदि उपस्थित रहे।

इन बिंदुओं पर लेना होगा ठोस निर्णय

-विवि के पाठ्यक्रमों में संशोधन

कम से कम समय में करना होगा। -नकल विहीन परीक्षाओं के संचालन के लिए उड़नदस्तों का गठन समय से किया जाएगा।

-सेमेस्टर व बीएड परीक्षाओं का समय पर आयोजन होना चाहिए।

-विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की विशेष कार्यशाला होगी।

- दैनिक कार्य शैली में परिवर्तन करना अनिवार्य होगा।

- सेमेस्टर व वार्षिक परीक्षाओं के पेपर में मानवीय त्रुटि शून्य होनी चाहिए।

-स्नातक व स्नातकोत्तर विषयों के प्रश्नपत्रों में आंकड़े व प्रश्न में त्रुटि की पहले पुख्ता जांच होगी।

- परीक्षा समाप्त होने के बाद निर्धारित समय पर मूल्यांकन शुरू करना होगा।


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