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घूसखोर के दोषी सहायक आयकर अधिकारी को सात साल कैद

सात हजार रुपये की रिश्वत लेने के दोषी सहायक आयकर अधिकारी राकेश कुमार को विशेष न्यायाधीश सीबीआइ सुजाता सिंह की अदालत ने सात साल कैद की सजा सुनाई।

By Edited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 11:53 AM (IST)
घूसखोर के दोषी सहायक आयकर अधिकारी को सात साल कैद
घूसखोर के दोषी सहायक आयकर अधिकारी को सात साल कैद

देहरादून, जेएनएन। काशीपुर (ऊधमसिंहनगर) में सात हजार रुपये की रिश्वत लेने के दोषी सहायक आयकर अधिकारी राकेश कुमार को विशेष न्यायाधीश सीबीआइ सुजाता सिंह की अदालत ने सात साल कैद की सजा सुनाई। उस पर तीस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है, जिसे अदा न करने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। राकेश कुमार मूलत: इलाहाबाद का रहने वाला है, जो वर्ष 2016 में काशीपुर में तैनात था। 

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विशेष लोक अभियोजक सीबीआइ सतीश कुमार ने अदालत को बताया कि सुशील कुमार निवासी आर्यनगर, काशीपुर ने 9 मई 2016 को सीबीआइ से शिकायत की थी। इसमें आरोप लगाया कि आयकर विभाग में कार्यरत सहायक आयकर अधिकारी राकेश कुमार पुत्र शोभनाथ निवासी ओल्ड आवास विकास कॉलोनी, शिवपुरी, शिव मंदिर के निकट, काशीपुर मूल निवासी मकान संख्या-4, काटजू बाग कॉलोनी, सलोरी तेलियरगंज, इलाहाबाद ने उसे टीडीएस का चेक दिलाने के नाम पर सात हजार रुपये की रिश्वत मांगी है।

इस पर घेराबंदी कर सीबीबाइ ने उसे 11 मई 2016 को आयकर विभाग के कार्यालय में रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान पाया गया कि सुशील कुमार पूर्व में सूर्या रोशनी लिमिटेड में नौकरी करता था, लेकिन कुछ दिन बाद उसने नौकरी छोड़ दी। 

सुशील कुमार एलआइसी का एजेंट भी था। इस बीच उसे पता चला कि टीडीएस का करीब सवा लाख रुपये मिलना उसे बाकी है। वह आयकर विभाग पहुंचा, जहां राकेश कुमार से उसकी मुलाकात हुई। राकेश ने उसे बताया कि उसे रकम दिला तो देगा, लेकिन इसके बदले उसे रिश्वत देनी होगी। 

उसने टीडीएस की आधी रकम की डिमांड की थी, लेकिन बात 25 हजार पर तय हो गई थी। पूर्व में इसमें से तीन किश्तों में वह 22 हजार रुपये दे भी चुका था। इस दौरान जांच में एक बात और सामने आई, वह यह कि पूर्व में जो चेक सुशील कुमार को मिले थे, वह राकेश कुमार ने अपनी जान-पहचान के व्यक्तियों के पते पर मंगाए थे, ताकि चेक सीधे सुशील कुमार के हाथ न लगें। यदि ऐसा होता तो उसे रिश्वत नहीं मिलती।

अभियोजन पक्ष की ओर से 17 गवाहों के साथ रिश्वत मांगने की वायस रिकार्डिग व अन्य दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए थे। वहीं बचाव पक्ष की ओर से एक भी गवाह नहीं आया।

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