20 हजार की रिश्वत लेने वाले ऑडिटर को सात साल की सजा Dehradun News
सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश सुजाता सिंह की अदालत ने 20 हजार रुपये की रिश्वत लेने के दोषी सीनियर ऑडिटर को सात साल कठोर कारावास और 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई।
देहरादून, जेएनएन। सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश सुजाता सिंह की अदालत ने 20 हजार रुपये की रिश्वत लेने के दोषी सीनियर ऑडिटर को सात साल कठोर कारावास और 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने रिश्वत में लिए 20 हजार रुपये भी पीड़ित पक्ष को सौंपने के आदेश दिए हैं।
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता सतीश गर्ग ने बताया कि नवरतन सिंह निवासी टर्नर रोड की एमएस नवरतन सिंह सिक्योरिटी एजेंसी है। इस एजेंसी का राजपुर रोड स्थित सतगुरु प्लाजा में ऑफिस है। इस सिक्योरिटी एजेंसी के कर्मचारी डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) में तैनात है।
अक्टूबर 2018 से फरवरी 2019 तक तकरीबन 70 लाख रुपये के बिल पीसीडीए (प्रिंसिपल कंट्रोलर ऑफ डिफेंस एकाउंट्स) से पास होने थे। एजेंसी मालिक नवरतन सिंह ने इसके पांच बिल पीसीडीए दफ्तर में जमा किए। वहां उनकी मुलाकात सीनियर ऑडिटर राम प्रसाद मीणा से हुई।
आरोप है कि मीणा ने इस बिल को पास करने के लिए बिल के 0.5 प्रतिशत की रिश्वत मांगी। बाद में दोनों में 30 हजार रुपये में समझौता हो गया। इस पर ऑडिटर ने चार बिल पास कर दिए और पांचवां बिल पास करने से पहले रिश्वत मांगी। सीबीआइ के शासकीय अधिवक्ता अभिषेक अरोरा ने बताया कि नवरतन सिंह ने चार अप्रैल 2019 को इसकी शिकायत सीबीआइ में की।
बाद में सिक्योरिटी एजेंसी संचालक सिंह ने उसके एकाउंट में 20 हजार रुपये जमा किए। इसके तुरंत बाद सीबीआइ की टीम ने आरोपित सीनियर ऑडिटर मीणा को दिल्ली स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया। सीबीआइ की टीम ने मामले की जांच के बाद 27 मई 2019 को चार्ज शीट सौंपी।
इसका मामला सीबीआइ की विशेष अदालत में चला। इधर सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश सुजाता सिंह ने मीणा को दोषी करार देते हुए सात साल कठोर कैद एवं 50 हजार जुर्माना देने की सजा सुनाई है। इसके अलावा मीणा को एजेंसी संचालक से रिश्वत के लिए 20 हजार रुपये भी वापस करने के आदेश दिए हैं।
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