्रप्रत्याशियों के आधार पर बदलेगी संवेदनशील केंद्रों की संख्या
निकाय चुनावों के लिए भले ही निर्वाचन आयोग ने संवेदनशील व अतिसंवेदनशील केंद्र व बूथों की संख्या घोषित कर दी हो लेकिन यह अंतिम नहीं है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: निकाय चुनावों के लिए भले ही निर्वाचन आयोग ने संवेदनशील व अतिसंवेदनशील केंद्र व बूथों की संख्या घोषित कर दी हो लेकिन यह अंतिम नहीं है। दरअसल, इनकी असली संख्या नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही तय होगी। चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के इतिहास और छवि को देखते हुए संवेदनशील व अतिसंवेदनशील केंद्रों का नए सिरे से चिह्नीकरण किया जाएगा।
प्रदेश में 18 नवंबर को 84 नगर निकायों में चुनाव होने हैं। इसके लिए निर्वाचन आयोग द्वारा पूरी तैयारी भी कर ली गई है। अभी आयोग ने बीते निकाय चुनावों के अनुसार 305 केंद्र और 569 बूथों को संवेदनशील, 236 केंद्र और 533 बूथों को अतिसंवेदनशील माना है। हालांकि, इनमें कई जिलों में इनकी संख्या शून्य है। आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि संवेदनशील और अतिसंवेदनशील केंद्रों की संख्या पिछले निकाय चुनावों के आधार पर तय हुई है। इस वर्ष के लिए यह संख्या अंतिम नहीं है। अभी निकाय चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया चल रही है। नाम वापसी के बाद जब प्रत्याशियों के संबंध में पूरी स्थिति साफ हो जाएगी तब नए सिरे से संवेदनशील अथवा अतिसंवेदनशील बूथों का नए सिरे से आंकलन किया जाएगा। दरअसल, आयोग का यह मानना है कि कई बार ऐसा हो जाता है कि एक ही क्षेत्र से दो कद्दावर नेता आमने-सामने आ जाते हैं। ऐसी स्थित में संबंधित क्षेत्र स्वत: ही संवदेनशील की श्रेणी में आ जाता है। इसके अलावा प्रत्याशी की छवि और उसके पुराने इतिहास से भी संवेदनशील व अतिसंवेदनशील केंद्रों की संख्या में बदलाव हो सकता है। बागी प्रत्याशी का कद अथवा प्रत्याशी चयन के बाद कहीं ¨हसा की स्थिति भी कुछ मतदान केंद्रों को संवेदनशील बना सकती है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट का कहना है कि आयोग द्वारा संवेदनशील व अतिसंवेदनशील केंद्रों के संबंध में जारी की गई सूची अनंतिम है। प्रत्याशियों की सही तस्वीर सामने आने के बाद नए सिरे से इनका चिह्नीकरण होगा।