सिक्योरिटी एजेंसियों को देना होगा न्यूनतम वेतन
प्रदेश में कार्यरत निजी सुरक्षा एजेंसियों को अब अपने कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन देना होगा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में कार्यरत निजी सुरक्षा एजेंसियों को अब अपने कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन देना होगा। इसके साथ ही उन्हें अपने कर्मियों की ईएसआइ और इपीएफ भी जमा करना होगा। इसी शर्त पर उन्हें नया लाइसेंस दिया जाएगा अथवा उनका लाइसेंस रिन्यू किया जाएगा। इसका उल्लंघन करने पर लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई करने का भी प्रावधान किया गया है।
उत्तराखंड में निजी सुरक्षा एजेंसियों के लिए नौ साल पहले यानी वर्ष 2010 में नियमावली बनाई गई थी। शुरुआती वर्ष में केवल एक ही एजेंसी पंजीकृत हुई। नौ वर्षो में यह आंकड़ा अब बढ़कर 180 एजेंसियों तक पहुंच चुका है। इसका कारण प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे उद्योग हैं। दरअसल उद्योग बढ़ने के साथ ही सुरक्षा कर्मियों की मांग भी बढ़ने लगी। इससे प्रदेश में सुरक्षा एजेंसियों का काम तेजी से चल निकला। सुरक्षा एजेंसियों को शासन स्तर से लाइसेंस जारी किए जाते हैं। इनका कार्य क्षेत्र एक जिले से लेकर पूरे उत्तराखंड तक का है। अभी प्रदेश में 75 सुरक्षा एजेंसियां ऐसी हैं जिनका कार्यक्षेत्र संपूर्ण उत्तराखंड है। शेष अन्य एक जिले अथवा दो से पांच जिलों के लिए पंजीकृत हैं। इन एजेंसियों के जरिए तकरीबन पांच हजार से अधिक लोग रोजगार पा रहे हैं। अभी देखने में यह आया है कि इन सुरक्षा गार्डो को पांच हजार से लेकर दस हजार तक का वेतन दिया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले सभी प्रदेशों को निजी सुरक्षा एजेंसियों में कार्यरत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन देना सुनिश्चित करने के लिए गाइडलाइन जारी की थी। अब इसका अनुपालन उत्तराखंड में भी होने लगा है। अब शासन स्तर से जारी होने वाले हर लाइसेंस में न्यूनतम वेतन की अनिवार्य शर्त को जोड़ दिया है। इसके तहत लाइसेंसधारक को अपने कर्मचारी को श्रम विभाग द्वारा तय मानकों के अनुसार न्यूनतम वेतन देना होगा। ऐसे में सुरक्षा कर्मियों का न्यूनतम वेतन आठ हजार से 12 हजार रुपये के बीच हो सकता है। लाइसेंस में कर्मचारी का इपीएफ और ईएसआइ लागू करना भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसका उल्लंघन करते पाए जाने पर ऐसी एजेंसियों का लाइसेंस रद करने तक का प्रावधान किया गया है।