डेढ़ साल में एटीएम क्लोनिंग की दूसरी बड़ी वारदात, इतने लोग बने शिकार
देहरादून में डेढ़ साल में एटीएम क्लोनिंग की दूसरी बड़ी वारदात को अंजाम दिया गया है। जिससे कर्इ सवाल खड़े हो रहे हैं।
देहरादून, संतोष तिवारी। डेढ़ साल के भीतर एटीएम क्लोनिंग दूसरी बड़ी वारदात से एक बार फिर बैंकिग सुरक्षा प्रणाली पर सवालिया निशान लग गया है। जुलाई 2017 में हरियाणा के गिरोह ने दून के 135 बैंक अकाउंट के एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर 39 लाख रुपये हड़प लिए थे। यह बैंकिग इतिहास में देश की सबसे बड़ी वारदात थी। मगर इस वारदात से बैंक अफसरों ने कोई सबक नहीं लिया। सबक लिया होता तो शनिवार को एक बार फिर दस खाताधारकों की मेहनत की कमाई पर कोई 'डाका' नहीं डाल पाता।
प्लास्टिक मनी यानी एटीएम कार्ड ने लोगों को जहां कई सुविधाएं दी हैं, वहीं परेशानियां भी बढ़ा दी हैं। शनिवार को दस बैंक खाताधारकों के एटीएम कार्ड का डाटा हैक कर 3.85 लाख रुपये से अधिक की रकम उड़ा देने के मामले ने आम लोगों से लेकर पुलिस तक के एक बार फिर होश उड़ा दिए हैं। इस ताजा वाकये ने एटीएम की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जिन खाताधारकों के रुपये निकले हैं, उन सभी के एटीएम कार्ड उनके पास ही मौजूद थे। इसके बाद भी जब उनके खाते से पैसे निकलने लगे तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्हें सूझ ही नहीं रहा था कि वह आगे क्या करें। हालांकि, इनमें से अधिकांश ने अपना एटीएम कार्ड ब्लॉक करा दिया। एटीएम फ्रॉड के इस ताजा मामले से एक बात तो साफ हो गई है कि दून में हैकर्स का गिरोह एक बार फिर से दस्तक दे चुका है।
एटीएम में नहीं था गार्ड
इंडियन ओवरसीज बैंक के रिंग रोड स्थित एटीएम पर गार्ड की तैनाती नहीं है। यही वजह रही कि जालसाजों ने इस एटीएम को निशाना बनाया और स्कीमर-कैमरा फिट कर डाटा चोरी करने में कामयाबी पाई।
गार्ड विहीन एटीएम बने थे निशाना
ज लाई 2017 में भी धर्मपुर और फव्वारा चौक के पास जिन दो एटीएम में स्कीमर और कैमरे लगाए गए थे, उन पर भी गार्ड तैनात नहीं थे। इस वारदात के बाद दून पुलिस ने बैंक अधिकारियों के साथ बैठक की और एटीएम में अनिवार्य रूप से गार्ड तैनात करने को कहा, लेकिन बैंकों ने इसे एक कान से सुना दूसरे कान से निकाल दिया।
रकम पाने को भटक रहे खाताधारक
ज लाई 2017 में एटीएम क्लोनिंग के शिकार हुए कई खाताधारक अब भी रकम वापस पाने के लिए भटक रहे हैं। हालांकि पुलिस इस मामले में पिछले साल अक्टूबर में ही हरियाणा के गिरोह के तीन सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दाखिल कर चुकी है।
मांगी रुपये निकालने वालों की डीटेल
इंडियन ओवरसीज बैंक केर रिंग रोड स्थित एटीएम की निर्माता कंपनी और बैंक मुख्यालय से उन खाताधारकों की संख्या और डिटेल मांगी है, जिन्होंने आठ दिसंबर की रात से लेकर नौ दिसंबर की रात में रिंग रोड स्थित एटीएम से धन की निकासी की है।
कैसे बनाते हैं एटीएम कार्ड का क्लोन
एट एम कार्ड का क्लोन तैयार करने के लिए जालसाज मामूली सी तकनीकी का सहारा लेते हैं। मशीन में जहां कार्ड प्रवेश कराया जाता है, जालसाज वहां पोर्टबल स्कीमर लगा देते हैं, जो कार्ड लगाते समय पूरा डाटा कॉपी कर लेता है। इससे जालसाज उसी डाटा का इस्तेमाल कर दूसरा कार्ड तैयार कर लेते हैं।
ऐस जानते हैं आपका पिन
पिन जानने के लिए जालसाज दूसरी ट्रिक इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए वह एटीएम मशीन के पास कहीं बैट्री से चलने वाला कैमरा लगा देते हैं, जो एटीएम के कीबोर्ड पर उंगलियों की हरकत को रिकार्ड कर लेता है। इससे बाद में वह आसानी से पिन जान लेते हैं।
ऐस बच सकते हैं शिकार होने से
दरअसल, पोर्टबल स्कीमर की बनावट एटीएम से मिलती-जुलती है। इसलिए लोगों को पता नहीं चलता कि वहां कोई डिवाइस लगाई गई है। एसएसपी ने बताया कि आमतौर पर एटीएम में कार्ड इंट्री प्वाइंट पर हमेशा लाइट जलती रहती है। लेकिन स्कीमर लगाने पर सामान्यतया लाइट नहीं जलती है। ऐसी स्थिति आने पर अलर्ट हो जाएं और तत्काल पुलिस को सूचना दें।
एसएसपी निवेदिा कुकरेती ने बताया कि अब तक की जांच से स्पष्ट हो चुका है कि स्कीमर और कैमरा लगाकर एटीएम कार्ड का डाटा चोरी किया गया है। पिछले साल हुई वारदात की फाइल पलटने के साथ हरियाणा में सक्रिय इस तरह के गैंग की कुंडली खंगाली जा रही है। साथ ही रिंग रोड स्थित एटीएम के सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे दो संदिग्धों की पहचान की कोशिश की जा रही है। दोनों के आने और जाने के रूट पर लगे कैमरे भी खंगाले जा रहे हैं।यह भी पढ़ें: जालसाजों ने एटीएम क्लोनिंग कर 10 बैंक खातों से उड़ाए 3.85 लाख रुपये
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