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भावी पीढ़ी की दिखी सृजनशील सोच

केंद्रीय विद्यालय संगठन की ओर से आयोजित दो दिवसीय 46वीं जवाहरलाल नेहरू विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 09:17 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 09:17 PM (IST)
भावी पीढ़ी की दिखी सृजनशील सोच
भावी पीढ़ी की दिखी सृजनशील सोच

जागरण संवाददाता, देहरादून: केंद्रीय विद्यालय संगठन की ओर से आयोजित दो दिवसीय 46वीं जवाहरलाल नेहरू विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी गुरुवार को केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी में शुरू हुई। पहले दिन विभिन्न विद्यालयों से पहुंचे प्रतिभागियों ने अपने मॉडल के जरिये स्वस्थ जीवन व स्वच्छता का संदेश दिया।

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प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल, सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक रणबीर सिंह, केवि संगठन के कार्यवाहक उपायुक्त विनोद कुमार, सहायक आयुक्त नीता खुराना ने संयुक्त रूप से किया। मुख्य अतिथि ने छात्रों को विज्ञान और ज्वलंत मुद्दों के प्रति रुचि और वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विभिन्न कक्षाओं में छात्रों की ओर से अलग-अलग विषयों पर बनाए गए मॉडल का निरीक्षण किया। इस दौरान छात्रों ने मॉडल से संबंधित जानकारी भी दी। जीवन की चुनौतियों के लिए वैज्ञानिक समाधान विषय में छह उप विषय रखे गए। कृषि एवं जैविक खेती, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, संसाधन प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन, परिवहन एवं संचार और गणितीय प्रतिरूपण पर छात्रों ने विभिन्न मॉडल दर्शाए। प्रदर्शनी में 28 केंद्रीय विद्यालयों के 170 प्रतिभागियों ने अपने मॉडल दिखाकर जागरुक किया। इसके बाद विभिन्न विषयों पर लिखित परीक्षा भी कराई गई। प्रदर्शनी और अन्य प्रतियोगिता के परिणाम शुक्रवार को घोषित किए जाएंगे। विद्यालय की प्राचार्य डॉ. अंशुम शर्मा कलसी ने सभी का आभार जताया। इस दौरान केवि आइआइपी की प्राचार्य सफलता विश्नोई, केवि हाथीबड़कला-एक के प्रधानाचार्य इंद्रजीत सिंह समेत अन्य कई प्राचार्य शिक्षक-शिक्षिकाएं व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। गाय के गोबर से बनाई अगरबत्ती

विज्ञान प्रदर्शनी में भावी पीढ़ी की सृजनशील सोच व वैज्ञानिक दृष्टिकोण की झलक मिली। कई मॉडल ऐसे थे, जिन्होंने बरबस ही लोगों का ध्यान खींचा। मसलन, काऊ डंग यानी गाय के गोबर से बनी हर्बल अगरबत्ती की हर कोई जानकारी लेते दिखा। गोबर को धूप में सुखाकर उसमें नीम के पत्ते, घी और गुग्गुल धूप मिलाकर उसे अगरबत्ती का शेप दिया गया था। यह बाजार में बिकने वाली कैमिकल से बनी अगरबत्ती की तरह हानिकारक नहीं है। इसी तरह मॉडल के जरिये यह भी बताया गया कि किस तरह नदी किनारे कुछ खास पौधे रोपित कर पानी साफ रखा जा सकता है।


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