उत्तराखंड में छठी से लेकर 11वीं तक स्कूल खुले, सहमे डिग्री कालेज
कोरोना संक्रमण से प्रदेश में सबसे ज्यादा सदमे में कोई विभाग है तो वह है उच्च शिक्षा। नवंबर में 10वीं व 12वीं कक्षाओं की पढ़ाई के लिए सरकारी और निजी स्कूल खोले जा चुके हैं। इसके बाद छठी से लेकर 11वीं तक कक्षाएं भी प्रारंभ की जा चुकी हैं।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। कोरोना संक्रमण से प्रदेश में सबसे ज्यादा सदमे में कोई विभाग है तो वह है उच्च शिक्षा। साढ़े तीन महीने पहले यानी नवंबर में 10वीं व 12वीं कक्षाओं की पढ़ाई के लिए सरकारी और निजी स्कूल खोले जा चुके हैं। इसके बाद छठी से लेकर 11वीं तक कक्षाएं भी प्रारंभ की जा चुकी हैं। कोविड-19 महामारी की वजह से लंबे समय से बंद पड़े स्कूलों को हालात में सुधार आने के साथ ही खोला जा रहा है। लेकिन प्रदेश में डिग्री कालेज अब भी बंद पड़े हैं। हालांकि इन्हें खोलने के बारे में फैसला बीती 15 दिसंबर को ही सरकार ले चुकी है। इसके बाद उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा धन सिंह रावत ने कहा कि चार फरवरी से कालेजों को प्रारंभ किया जाएगा। यह तारीख बीत चुकी है। कालेज अब भी बंद पड़े हैं। चर्चा है कि चुनावी टोटके में फंसे होने की वजह से मामला अटका है।
विधेयक को मंजूरी पर टकटकी
अंब्रेला एक्ट के लिए लाए गए राज्य विश्वविद्यालय विधेयक पर सरकार की टकटकी लगी है। ये विधेयक राजभवन में लंबित है। बीते दिसंबर माह में सरकार ने सरकारी विश्वविद्यालयों के अलग-अलग एक्ट को एक छाते के नीचे लाने के लिए इस विधेयक को विधानसभा से दोबारा पारित करा राजभवन को भेजा है। इससे पहले सितंबर माह में भी विधानसभा सत्र में इस विधेयक को पारित कर मंजूरी के लिए राजभवन भेजा गया था। तब राजभवन ने इसे मंजूरी नहीं दी। बाद में दिसंबर में विधानसभा सत्र से कुछ दिन पहले विधेयक को संदेश के साथ सरकार को लौटा दिया गया था। संदेश में विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप नहीं करने की नसीहत दी गई। सरकार का दावा है कि राजभवन की आपत्तियों का निराकरण किया जा चुका है। विधानसभा से दूसरी बार पारित विधेयक को राज्यपाल को मंजूरी देनी ही होगी। फिलहाल विधेयक लंबित है। सरकार चिंता भाव में है।
डीजी हटाने का आदेश वापस
सरकार ने शिक्षा विभाग में सचिव और महानिदेशक का जिम्मा एक ही अधिकारी आर मीनाक्षी सुंदरम को सौंप रखा है। यूं तो महानिदेशक का पदभार अपर सचिव स्तर का है, लेकिन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम पर सरकार का भरोसा कायम है। इसी बूते महानिदेशक पदभार उनके पास लंबे समय से है। ये दोनों पद एक ही अधिकारी के पास होने से सरकार को विभागीय कामकाज तेजी से निपटाने में मदद मिल रही है। खासतौर पर हाईकोर्ट में लंबित मामलों निपटाने को की जा रही पैरवी में तेजी आई है। सुंदरम को दो दिन पहले महानिदेशक पद से हटा दिया गया। ये आदेश जारी तो किया गया, पर अमल में आने से पहले इस पर रोक भी लगा दी गई। दरअसल मुख्यमंत्री से लेकर शिक्षा मंत्री सचिव के कामकाज से खुश हैं। टास्क को अंजाम तक पहुंचाने का गुण आर मीनाक्षी सुंदरम को सरकार की गुड बुक में बनाए हुए है।
हाकिम को कालेजों पर भरोसा
उम्मीद पर दुनिया कायम है। सरकार को उम्मीद है कि 28 फरवरी तक अनुदान पाने वाले डिग्री कालेज मान जाएंगे और राज्य विश्वविद्यालय से संबद्धता नहीं होने की जिद छोड़ देंगे। ऐसा हुआ तो फिर इन 16 कालेजों को भविष्य में अनुदान नहीं मिलने की चिंता से दो-चार नहीं होना पड़ेगा। पहले कैबिनेट का फैसला और अब शासनादेश से यह तकरीबन साफ हो गया है कि कालेजों को अनुदान पाना है तो उन्हें हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्धता खत्म करनी ही होगी। इसके स्थान पर श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय उत्तराखंड विश्वविद्यालय से संबद्धता लेनी होगी। यह दीगर बात है कि शासनादेश जारी होने के बावजूद अनुदान प्राप्त अशासकीय कालेजों के रवैये में बदलाव दिख नहीं रहा है। वे आंदोलन का बिगुल फूंके हुए हैं। उधर सरकार को भरोसा है कि 28 फरवरी तक हालात में तब्दीली दिखाई देगी। पर्दे के पीछे भी कुछ नेता इस मुहिम में जुटे हैं।
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