राज्य के 8646 स्कूलों में नहीं खेल मैदान
खेल प्रतिभाओं को स्कूली स्तर से निखारने के दावे भले ही राज्य सरकार कर रही हो, लेकिन हकीकत ये है कि प्रदेश के 17603 विद्यालयों में से 8646 में खेल मैदान ही नहीं हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
खेल प्रतिभाओं को स्कूली स्तर से निखारने के दावे भले ही राज्य सरकार कर रही हो, लेकिन हकीकत ये है कि प्रदेश के 17603 विद्यालयों में से 8646 में खेल मैदान ही नहीं हैं। विस के मानसून सत्र के दौरान बुधवार को सदन के पटल पर रखे गए उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के 2016-17 के वार्षिक प्रतिवेदन में यह खुलासा हुआ है। पौड़ी जिले में ऐसे स्कूलों की संख्या सबसे अधिक है। प्रतिवेदन में यह भी साफ किया गया है कि प्रदेशभर के स्कूल आधारभूत सुविधाओं का घोर अभाव झेल रहे हैं। तमाम स्कूलों में पेयजल, शौचालय जैसी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग को निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अंतर्गत राज्य के अधिकांश विद्यालयों में आधारभूत सुविधाएं न होने की शिकायतें मिली थीं। आयोग ने इनका संज्ञान लेते हुए शासन और शिक्षा विभाग को इनके निस्तारण के लिए निर्देशित किया। साथ ही शिक्षा विभाग से आधारभूत सुविधाओं के संबंध में सूची मांगी।
प्रतिवेदन में उल्लेख है कि यह सूची खासी चौंकाने वाली है। राज्यभर के 17603 विद्यालयों में से अधिकांश आधारभूत सुविधाओं के अभाव का दंश झेल रहे हैं। अधिकांश स्कूलों में खेल मैदान ही नहीं हैं। इनमें न सिर्फ पर्वतीय क्षेत्र बल्कि मैदानी क्षेत्र के विद्यालय भी शामिल हैं। यही नहीं, बड़ी संख्या में विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए पीने का पानी, छात्र-छात्राओं के लिए शौचालय जैसी सुविधाएं नहीं हैं। और तो और, 3301 ऐसे स्कूल हैं, जहां छोटे बच्चों की सुविधा के मद्देनजर रैंप तक नहीं हैं। इसके अलावा तीन हजार से अधिक विद्यालयों परिसरों में सुरक्षा के मद्देनजर चहारदीवारी तक नहीं है।
प्रतिवेदन में आयोग ने कहा है कि राज्य में सरकारी विद्यालयों में बच्चों के लिए आधारभूत व्यवस्थाएं अपर्याप्त हैं। इस पर सरकार को अमल करते हुए स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था करनी चाहिए।
-----
यह है स्थिति
-17603 है राज्य में कुल स्कूलों की संख्या
-8646 स्कूलों में नहीं खेल मैदान
-3301 परिसरों की नहीं चहारदीवारी
-1155 विद्यालयों में नहीं पुस्तकालय
-848 स्कूलों में पेयजल की सुविधा नहीं
-785 स्कूलों में नहीं बालक शौचालय
-692 विद्यालयों में बालिका शौचालय नहीं
-681 स्कूलों में नहीं हैं रैंप
--------------------------