Move to Jagran APP

School Reopening In Uttarakhand: स्कूल तो खुले, लेकिन घर से वहां तक का सफर बना अभिभावकों की चिंता

School Reopening In Uttarakhand उत्तराखंड सरकार ने स्कूल खोलने के आदेश तो जारी कर दिए लेकिन अभिभावक अभी बच्चों को स्कूल भेजने को राजी नहीं। उनकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि बच्चे घर से स्कूल तक की दूरी कैसे तय करेंगे।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 09:05 AM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 09:05 AM (IST)
School Reopening In Uttarakhand: स्कूल तो खुले, लेकिन घर से वहां तक का सफर बना अभिभावकों की चिंता
स्कूल तो खुले, लेकिन घर से वहां तक का सफर बना अभिभावकों की चिंता।

जागरण संवाददाता, देहरादून। School Reopening In Uttarakhand उत्तराखंड सरकार ने स्कूल खोलने के आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन अभिभावक अभी बच्चों को स्कूल भेजने को राजी नहीं। उनकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि बच्चे घर से स्कूल तक की दूरी कैसे तय करेंगे। अगर इस बीच उन्हें कोरोना संक्रमण हो जाता है तो कौन इसके लिए जिम्मेदार होगा।

loksabha election banner

यूं तो कई निजी स्कूलों द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए ट्रांसपोर्ट सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है और कई अभिभावक खुद अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने और लेने जाते हैं। पर बड़ी संख्या में ऐसे छात्र-छात्राएं भी हैं, जो इन दोनों विकल्पों के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट से स्कूल तक का सफर तय करते हैं या फिर यह दूरी पैदल तय करते हैं। ऐसे बच्चों के अभिभावकों को स्कूल खुलने को लेकर ज्यादा चिंता है।

गढ़ीकैंट निवासी अनिता डोभाल ने बताया कि उनकी बेटी एक निजी स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ रही है। वह साइकिल से स्कूल आना-जाना करती है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इतने महीनों से उसे घर से बाहर नहीं निकलने दिया है, लेकिन अब स्कूल खुलने पर वह खुद स्कूल जाने की जिद करने लगी है। सबसे बड़ा खतरा यह है कि स्कूल के रास्ते में उसे कहीं संक्रमण ना हो जाए।

उधर, प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन (पीपीएसए) के अध्यक्ष प्रेम कश्यप का कहना है कि स्कूलों द्वारा बस चलाने या न चलाने का निर्णय छात्रों की संख्या पर निर्भर करेगा।

निजी स्कूलों ने किया मंथन

प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप की अध्यक्षता में रविवार को निजी स्कूलों ने स्कूल खोलने पर मंथन किया। कश्यप ने कहा कि स्कूल अपनी ओर से बच्चों की सुरक्षा की पूरी व्यवस्था करेंगे, लेकिन किसी बच्चे को कोरोना हो गया तो इसकी जिम्मेदारी स्कूलों पर डालना ठीक नहीं है। बच्चे अधिकांश समय घर पर ही व्यतीत करते हैं। ऐसे में अभिभावकों को भी पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी।

यह भी पढ़ें- तीन व चार अगस्त को हल्द्वानी में होगी वन आरक्षी भर्ती परीक्षा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.