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कुमाऊं विवि में 20 करोड़ का घपला, ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा

कुमाऊं विश्वविद्यालय में वर्ष 2013-14 से लेकर 2016-17 यानी कुल तीन वर्षों के दौरान 20.31 करोड़ से ज्यादा की वित्तीय गड़बड़ी पकड़ी गई हैं। सरकार की ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 08:44 AM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 08:44 AM (IST)
कुमाऊं विवि में 20 करोड़ का घपला, ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा
कुमाऊं विवि में 20 करोड़ का घपला, ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। कुमाऊं विश्वविद्यालय में वर्ष 2013-14 से लेकर 2016-17 यानी कुल तीन वर्षों के दौरान 20.31 करोड़ से ज्यादा की वित्तीय गड़बड़ी पकड़ी गई हैं। विश्वविद्यालय का कारनामा देखिए, अलग-अलग वित्तीय वर्षों में बजट प्रविधान की तुलना में नियमों को ठेंगा दिखाते हुए 15.94 करोड़ ज्यादा खर्च कर डाला। 

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2014-15 में विभिन्न संकायों में पढ़ रहे 4587 छात्रों का बीमा किया, लेकिन पुष्टि के लिए छात्रों की सूची और बीमा कंपनी का बिल दिखाने में विश्वविद्यालय के हाथ-पांव फूल गए। यह पाया गया कि बीमा कंपनी को करीब 4.63 लाख का अनियमित भुगतान हुआ है।

सरकार की ओर से कुमाऊं विश्वविद्यालय की वर्ष 2013-14 से 2016-17 की ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। ठेकेदारों, कंपनियों को बगैर टीडीएस काटे दरियादिली से भुगतान किया गया तो संस्थागत परीक्षा के आवेदन पत्रों की छपाई के लिए चयनित कंपनी को अधिक भुगतान विश्वविद्यालय ने कर दिया। 

विश्वविद्यालय के रोकड़बही व डे-बुक में धनराशियों को दर्ज करने में खामियां पाई गईं। अनुदानों की बगैर इस्तेमाल अवशेष 56.67 लाख की राशि खातों में गलत तरीके से अवरुद्ध मिली। बगैर अनुबंध और परफॉरमेंस सिक्योरिटी जमा कराए 6.44 लाख की खेल सामग्री खरीदी गई। 

रोकड़बही में दर्ज नहीं 130 लाख

विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर नैनीताल के कॉशनमनी खाते से निकाली गई 90 लाख व 40 लाख की राशि को रोकड़बही में दर्ज करना गवारा नहीं समझा गया। यही नहीं 237.61 लाख की अस्थायी अग्रिम निकाली गई धनराशि को विश्वविद्यालय ने समायोजित नहीं किया। 

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इसके साथ 85320 रुपये, 72596 रुपये का अनियमित भुगतान भी मिला। सरकारी धन के दुरुपयोग का हाल ये रहा कि वित्त अधिकारी के आवास में कामकाज के लिए दैनिक वेतन पर कर्मचारी रखकर 23400 रुपये का गलत भुगतान किया गया। उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव आनंद बद्र्धन को उक्त ऑडिट रिपोर्ट कार्रवाई के लिए भेजी गई है।

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