पूना समझौते के तहत पदोन्नति में आरक्षण बहाल करने की मांग
पदोन्नति में आरक्षण बहाल करने और सार्वजनिक संस्थाओं के निजीकरण के बाद भी आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर एससी-एसटी कार्मिकों ने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ कोविद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजा। उन्होंने गुहार लगाई है कि पूना समझौते के तहत सभी विभागों में पदोन्नति में आरक्षण दिया जाए।
जागरण संवाददाता, देहरादून: पदोन्नति में आरक्षण बहाल करने और सार्वजनिक संस्थाओं के निजीकरण के बाद भी आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर एससी-एसटी कार्मिकों ने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ कोविद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजा। उन्होंने गुहार लगाई है कि पूना समझौते के तहत सभी विभागों में पदोन्नति में आरक्षण दिया जाए।
इस अवसर पर फेडरेशन के अध्यक्ष करमराम ने बताया कि पूना पैक्ट दिवस के अवसर पर सभी जनपद मुख्यालयों में फेडरेशन के सदस्यों ने बैठक का आयोजित की। जिसमें पदाधिकारियों व सदस्यों ने पूना पैक्ट पर परिचर्चा की। कहा कि आज पूरे देश में सामान्य वर्ग की ओर से आरक्षण का विरोध किया जा रहा है और सरकार एक वर्ग विशेष के दबाव में आकर पूना पैक्ट को नजरअंदाज कर निर्णय ले रही है। इस प्रकार आज पूरे देश में आरक्षण का विरोध करके एक वंचित वर्ग के अधिकारों को दबाने व कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक आरक्षण नहीं बल्कि 24 सितंबर, 1932 को पूना की यदरवा सेंट्रल जेल में बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मध्य हुआ एक समझौता है। यह समझौता पंडित जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित मदन मोहन मालवीय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री एवं लाला लाजपत राय जैसी महान विभूतियों की उपस्थिति में हुआ था। उन्होंने कहा कि देश में तमाम सरकारी-अर्द्धसरकारी व निजी संस्थानों में आरक्षण का विरोध किया जा रहा है, जबकि दूसरी ओर सार्वजनिक संस्थाओं की भूमिका को सीमित करते हुए इनका लगातार निजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सूचना का अधिकार व अन्य विभिन्न माध्यमों से यह सामने आया कि जिन-जिन क्षेत्र में एससी-एसटी, ओबीसी वर्ग के आरक्षण का प्राविधान नहीं है उनमें इन वर्गों का प्रतिनिधित्व शून्य या न्यूनतम स्तर पर है।
फेडरेशन का अनुरोध है कि पूना समझौते को ध्यान में रखते हुए प्रमोशन में आरक्षण और सरकारी-अर्द्ध सरकारी एवं निजी संस्थानों में एससी-एसटी, ओबीसी वर्गों का प्रतिनिधित्व पूर्ण किया जाए।