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पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर सचिवालय कूच, पुलिस ने रोका

पदोन्नति में आरक्षण न देने पर विभिन्न संगठन शुक्रवार को पवेलियन ग्राउंड में खूब गरजे। इसके बाद कर्मचारियों ने नारेबाजी करते हुए सचिवालय कूच किया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 07:13 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 08:32 PM (IST)
पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर सचिवालय कूच, पुलिस ने रोका
पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर सचिवालय कूच, पुलिस ने रोका

देहरादून, जेएनएन। एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण न देने पर विभिन्न संगठन शुक्रवार को पवेलियन ग्राउंड में खूब गरजे। इसके बाद कर्मचारियों ने नारेबाजी करते हुए सचिवालय कूच किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें पुलिस मुख्यालय से पहले ही बेरिकेडिंग लगाकर रोक लिया। आगे जाने के लिए उनकी पुलिस से धक्का-मुक्की भी हुई। इसके बाद कर्मचारी वहीं धरने पर बैठ गए। कर्मचारी नेताओं ने सचिव स्तर के अधिकारी को ज्ञापन देने के बाद ही धरना समाप्त करने की चेतावनी दी। इस पर मुख्यमंत्री के ओएसडी जगदीश खुल्बे वहां पहुंचे। कर्मचारी नेताओं ने उन्हें ज्ञापन देकर कहा कि सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो 15 जनवरी के बाद इससे भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

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उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने शुक्रवार को पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर महारैली का आयोजन किया था। इसमें एससी-एसटी कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों समेत करीब 35 संगठन शामिल हुए। सभी ने सरकार पर एससी-एसटी कर्मचारियों के हित की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य स्थापना दिवस नौ नवंबर 2000 से एससी-एसटी रोस्टर को शून्य मानकर पदोन्नति और सीधी भर्ती आरंभ की जाए। महारैली में शामिल होने के लिए प्रदेश के विभिन्न जनपदों से कर्मचारी पहुंचे थे। 

उन्हें संबोधित करते हुए फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मदन कुमार शिल्पकार ने कहा कि उत्तराखंड एससी-एसटी बाहुल्य राज्य है। राज्य गठन के समय एसटी कर्मचारियों को यहां भेजा गया। जिससे राज्य में एसटी कर्मचारियों की संख्या निर्धारित प्रतिशत से अधिक हो गई। इसके चलते अब न तो उन्हें पदोन्नति में आरक्षण का लाभ मिल पा रहा है और न ही सीधी भर्ती का। फेडरेशन के जिलाध्यक्ष करम राम ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा। कानून और कर्मचारी आचार नियमावली के दायरे में रहते हुए सरकार को झुकने पर विवश कर देंगे।

महारैली में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए कर्मचारियों को संबोधित करते हुए फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मदन कुमार शिल्पकार ने कहा कि राज्य एससी-एसटी बाहुल्य क्षेत्र है। राज्य गठन के समय एसटी कर्मचारियों को यहां भेजा गया। जिससे राज्य में एसटी कर्मचारियों की संख्या निर्धारित प्रतिशत से अधिक हो गई। इसके चलते अब न तो उन्हें पदोन्नति में आरक्षण का लाभ मिल पा रहा और न ही सीधी भर्ती का।

फेडरेशन के जिलाध्यक्ष करम राम ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा। कानून और कर्मचारी आचार नियमावली के दायरे में रहते हुए सरकार को झुकने पर विवश कर देंगे। वहीं, परेड ग्राउंड में पदोन्नति में आरक्षण और छात्रवृत्ति घोटाले की सीबीआइ जांच के लिए धरना दे रहे उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के कार्यकर्ता भी प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर के साथ महारैली को समर्थन देने पहुंच गए। 

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दौलत कुंवर ने कहा कि खुद को डबल इंजन की सरकार कहने वाली भाजपा के शासन में एससी-एसटी कर्मचारियों के हितों की अनदेखी हो रही है। इस मुद्दे पर वह फेडरेशन के साथ हैैं। महारैली को एससी-एसटी शिक्षक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय भाटिया, सचिवालय संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार, महासचिव कमल कुमार, पशुपालन विभाग अधिकारी-कर्मचारी संघ की अध्यक्ष डॉ. रचना टम्टा, मूल निवासी संघ के अध्यक्ष चंद्रबहादुर और पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वाले विनोद कुमार व ज्ञानचंद ने भी संबोधित किया। महारैली का संचालन फेडरेशन के महासचिव डॉ. हरि सिंह ने किया।  

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सीबीआइ से कराई जाए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच

उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार मंच ने महारैली के दौरान एससी-एसटी छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की। प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर ने कहा कि तीन साल से रुकी छात्रवृत्ति भी तुरंत जारी की जाए। 

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