मांगों को लेकर एससी-एसटी इंप्लाइज फैडरेशन ने दिया सांकेतिक धरना
उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फैडरेशन ने परेड ग्राउंड के नजदीक सांकेतिक धरना दिया। फैडरेशन की ओर से जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच मैमोरडम देने की योजना थी।
देहरादून, जेएनएन। सात सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फैडरेशन ने परेड ग्राउंड के नजदीक सांकेतिक धरना दिया। फैडरेशन की ओर से जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच मैमोरडम देने की योजना थी, लेकिन कांग्रेस की रैली के कारण सिटी मजिस्ट्रेट मायादत्त जोशी धरनास्थल पर पहुंचे।
इस दौरान फैडरेशन ने सिटी मजिस्ट्रेट को मैमोरडम सौंपा। फैडरेशन के महासचिव रघुवीर सिंह तोमर ने बताया कि शनिवार को जनपद स्तर पर सांकेतिक धरना दिया गया। यदि मांगे जल्द नहीं मानी गई तो प्रांत स्तर पर वह तीन जनवरी को परेड ग्राउंड से सचिवालय तक कूच करेंगे।
इस अवसर पर प्रांतीय अध्यक्ष करमराम, महासचिव हरि सिंह, कोषाध्यक्ष मटन लाल, विधि सलाहकार कांता प्रसाद, पांचों जनजाति के अध्यक्ष एवं पूर्व शिक्षा निदेशक सीएस ग्वाल, जनपदीय अध्यक्ष शिव लाल गौतम, वरिष्ठ उपाध्यक्ष भूपेंद्र बरी, जिला कोषाध्यक्ष मोहन लाल, सदस्य राजेंद्र सिंह रावत, राजेंद्र सिंह, बलदेव शाह, देवेंद्र, चंद्र सिंह, आरआर सोलियाल, कृपाल सिंह, अतर सिंह आदि मौजूद रहे।
ये हैं फैडरेशन की मुख्य मांगें
- उच्चतम न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में दाखिल एसएलपी को तत्काल वापस लिया जाए तथा इंदु कुमार कमेटी व जस्टिस इरशाद हुसैन आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक कर उसका परीक्षण किया जाए।
- सीधी भर्ती में रोस्टर की समीक्षा किए जाने के लिए गठित मदन कौशिक समिति की रिपोर्ट जब तक नहीं आ जाती तब तक वर्ष 2001 में निर्धारित रोस्टर के आधार पर ही सीधी भर्ती की जाए।
- राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर 2000 को जनजाति के रोस्टर को शून्य मानकर उक्त तिथि से ही पदोन्नति/सीधी भर्ती में जनजाति का रोस्टर प्रारंभ किया जाए।
- उत्तराखंड राज्य में शैक्षिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को राजकीय सेवाओं में निर्धारित आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाए एवं पदोन्नति में भी ओबीसी को आरक्षण दिया जाए।
- राज्य के विभिन्न विभागों में बैकलॉग के रिक्त पदों को विशेष भर्ती अभियान चलाकर तत्काल भरा जाए।
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- विभिन्न सरकारी संस्थानों में संविदा/आउटसोर्स के माध्यम से की जा रही नियुक्तियों में भी आरक्षण का शत प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
- यदि सरकार उच्चतम न्यायालय के अंतिम निर्णय के अधीन राज्य में डीपीसी पर रोक हटाने पर विचार करती है तो रोस्टर के अनुसार ही डीपीसी प्रारंभ की जाए।
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