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दून में 2.60 करोड़ से बनेगा सैटेलाइट आधारित मास्टर प्लान

एमडीडीए ने बड़ा कदम उठाते हुए दून में सैटेलाइट मैपिंग से तैयार किए जाने वाले मास्टर प्लान के लिए कंपनी का चयन कर लिया है।

By Edited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 03:57 PM (IST)
दून में 2.60 करोड़ से बनेगा सैटेलाइट आधारित मास्टर प्लान
दून में 2.60 करोड़ से बनेगा सैटेलाइट आधारित मास्टर प्लान

देहरादून, [जेएनएन]: दून के सुनियोजित विकास की दिशा में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने बड़ा कदम बढ़ा दिया है। दून में सैटेलाइट मैपिंग से तैयार किए जाने वाले मास्टर प्लान के लिए कंपनी का चयन कर लिया गया है।

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दिल्ली स्थित मार्स कंपनी ने फाइनेंशियल बिड में सबसे कम 2.60 करोड़ रुपये की दर दी और इसी आधार पर कंपनी का चयन किया गया। कंपनी के साथ एमओयू किए जाने के 11 माह की अवधि में मास्टर प्लान को तैयार करना होगा। इसके बाद खामियों से भरे 2005-2025 के मास्टर प्लान से भी दून को निजात मिल जाएगी। एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव के अनुसार यह जीआइएस (जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम) आधारित मास्टर प्लान कहलाएगा।

इस मास्टर प्लान की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि धरातल पर जो संरचना जैसी होगी, उसी के अनुरूप भूपयोग (लैंडयूज) भी तय कर दिया जाएगा। सैटेलाइट से मैपिंग किए जाने के चलते यह पूरी तरह सटीक होगा। जबकि, अब तक के प्लान में लैंडयूज व धरातलीय स्थिति में काफी भिन्नता है। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि चयनित कंपनी के साथ 27 से 29 सितंबर के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर कर दिए जाएंगे। इससे पहले कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक कर एमओयू की विभिन्न शर्तो पर चर्चा भी की जाएगी।

इतने क्षेत्रफल पर होगी सेटेलाइट मैपिंग 

  • देहरादून,37432.96 हेक्टेयर 
  • मसूरी,17891.00 हेक्टेयर 
  • कुल,55323.96 हेक्टेयर 

बरसात थमने के बाद होगी मैपिंग 

एमडीडीए के ट्रांसपोर्ट प्लानर जगमोहन सिंह ने बताया कि जीआइएस आधारित मास्टर प्लान के लिए सैटेलाइट से दून का चित्र लिया जाएगा। बरसात के बाद मौसम साफ होते ही यह मैपिंग कर ली जाएगी।

इस तरह तैयार होगा मास्टर

प्लान सैटेलाइट से निर्धारित क्षेत्रफल की हाई रेजॉल्यूशन पिक्चर ली जाएगी। यह तस्वीर इतनी बेहतर होगी कि धरातल पर 0.3 से 0.5 मीटर तक के भाग की स्थिति पूरी तरह नजर आ जाएगी। इसके बाद सैटेलाइट मैपिंग में खसरा नंबरों को सुपर इंपोज (हूबहू दर्ज) किया जाएगा। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि धरातल पर कितने भाग पर रिहायशी इलाका है या कमर्शियल, एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट आदि है। धरातलीय स्थिति के अनुसार ही मास्टर प्लान व जोनल प्लान भी तैयार किया जाएगा। 

वर्तमान मास्टर प्लान में इसलिए खामियां

वर्तमान में लागू मास्टर प्लान को धरातलीय सर्वे के आधार पर तैयार किया गया। सर्वे व इसके लागू होने में एक लंबा वक्त लग जाने के चलते धरातलीय स्थिति मास्टर प्लान से भिन्न हो गई। यही कारण है कि प्लान के धरातल से जुदा होने के चलते नक्शे पास कराने में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते लोग अवैध निर्माण करने को भी मजबूर हो जाते हैं।

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