Sankashti Chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए क्या है मान्यता, शुभ मुहूर्त और पूजन की विधि
Sankashti Chaturthi 2022 संकष्टी चतुर्थी आज मनाई जा रही है। चतुर्थी तिथि रात 956 बजे तक रहेगी। इस चतुर्थी को लेकर मान्यताएं है कि इस दिन पूजा से भक्त को सौभाग्य समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। Sankashti Chaturthi 2022 फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी आज मनाई जाएगी। चतुर्थी तिथि रात 9:56 बजे तक रहेगी। कष्टों के निवारण के लिए लोग व्रत रख गणेश पूजा करेंगे। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से भक्त को सौभाग्य, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक मान्यता है कि भगवान गणेश और चौथ माता का पूजा करने व्रत रखने से कष्ट दूर होते हैं। गणेश पुराण के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से भक्त को सौभाग्य, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर पूजा स्थल पर गणेश की प्रतिमा स्थापित करने के बाद पूजा करें। गणेश को धूप, दीप, कपूर, अक्षत और दूर्वा अर्पित करें। इस के बाद लड्डू और मोदक का भोग लगाएं। चंद्रोदय का समय 09:50 बजे रहेगा। रात्रि में चंद्रमा को जल का अर्घ्य देने के बाद मीठा भोजन कर व्रत खोलें।
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है संकष्टी चतुर्थी का व्रत
संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने का विधान है। फाल्गुन मास में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। मान्यता है कि, इस दिन विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति के जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि शनिवार रात्रि 09:56 बजे से रविवार रात्रि 09:05 तक रहेगी। चंद्रोदय का समय 09:50 बजे।
संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि
संकष्टी चतुथी सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर लें। चतुर्थी की पूजा दोपहर के समय करने का विधान है। इसीलिए दोपहर पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश जी की प्रतिमा पूजास्थल पर स्थापित कर विधिवत पूजा करें। पूजा में भगवान गणेश को धूप, दीप, कपूर, अक्षत और दूर्वा अर्पित करें। इसके बाद गणपति जी को लड्डू और मोदक का भोग लगाएं। तथा उनके मंत्रों का जाप करें, बाद में व्रत कथा पढ़ें और सुनें। अंत में गणेश जी की आरती करें। रात्रि में चंद्रमा को जल का अघ्र्य देकर व्रत संपन्न करें।
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