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त्योहारी सीजन में तेजी से होती है खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग, पर महीनों तक नहीं मिलते परिणाम

त्योहारी सीजन में दूध और अन्य खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग तो तेज कर ली जाती है लेकिन उसके परिणाम को लेकर खुद अधिकारी भी सुस्त पड़ जाते हैं। ही वजह है कि दून में मिलावट का धंधा मशीनरी की मौजूदगी के बाद भी फलता-फूलता रहता है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 09 Nov 2020 05:52 PM (IST)Updated: Mon, 09 Nov 2020 05:52 PM (IST)
त्योहारी सीजन में तेजी से होती है खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग, पर महीनों तक नहीं मिलते परिणाम
त्योहारी सीजन में तेजी से होती है खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग।

देहरादून, जेएनएन। किसी भी जांच का असर तब नजर आता है जब उसके परिणाम तुरंत मिल जाएं, पर खाद्य सुरक्षा का कामकाज इसके ठीक उलट चलता है। रेकॉर्ड दुरुस्त करने के लिए त्योहारी सीजन में दूध और अन्य खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग तो तेज कर ली जाती है, लेकिन उसके परिणाम को लेकर खुद अधिकारी भी सुस्त पड़ जाते हैं। जिन खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग के परिणाम 14 दिन के भीतर आने जाने चाहिए, महीनों तक भी पता नहीं चल पाता कि वे खाने लायक भी थे या नहीं। अधिक समय होने के चलते सैंपलिंग की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में आ जाती है। यही वजह है कि दून में मिलावट का धंधा मशीनरी की मौजूदगी के बाद भी फलता-फूलता रहता है।

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त्योहारी सीजन में दूध और अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट कोई नई बात नहीं, लेकिन इसे रोकने को शायद ही कभी गंभीर कदम उठाए गए हों। ले-देकर सैंपलिंग होती भी है तो रस्म अदायगी के लिए। हैरत देखिए कि जांच के लिए जब अपनी लैब नहीं थी, तब भी रिपोर्ट आने में वक्त लगता था और अब रुद्रपुर में अपनी लैब है, तब भी परिणाम नहीं मिल पाते। कहने का मतलब मिलावटखोरों को खुली छूट है, फिर भले ही लोगों का स्वास्थ्य चौपट ही क्यों न हो जाए।

साल 2019 में विभाग की ओर से 287 खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए गए थे। इनमें 191 की ही रिपोर्ट मिली है। जबकि 96 सैंपल की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। वहीं साल 2020 में लिए गए 133 सैंपल की एक भी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। अब दीवाली पर भी विभागीय टीम लगातार सैंपलिंग कर रही हैं, लेकिन इन खाद्य पदार्थो की रिपोर्ट कब आएगी, इसका अब तक अता-पता नहीं है। रिपोर्ट तब आएगी जब मिलावट का जहर आम आदमी के हलक से नीचे उतर चुका होगा। 

स्पेक्स के सचिव डॉ. बृजमोहन शर्मा ने बताया कि खाद्य पदार्थों के परीक्षण की प्रक्रिया बहुत जटिल नहीं है। न इसमें ज्यादा वक्त लगता है। रिपोर्ट त्योहार बीत जाने के कई दिन बाद आती है। जिस कारण आम आदमी को इसका फायदा नहीं मिलता।

जिला अभिहृत अधिकारी जीसी कंडवाल का कहना है कि इस दफा दीपावली से कई दिन पहले ही छापेमारी शुरू कर दी गई थी। इसकी जद में न सिर्फ छोटे दुकानदार, बल्कि बड़े प्रतिष्ठान व सप्लायर भी रहे। परीक्षण के लिए सैंपल लैब को भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

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