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उत्तराखंड में कर्मचारियों की हड़ताल के चलते अटका रोडवेज कर्मियों का वेतन

उत्तराखंड में कर्मचारियोंं की हड़ताल के चलते शासन से जारी होने वाले 10 करोड़ रुपये रोडवेज को मिले ही नहीं। ऐसे में रोडवेज कर्मियों को बगैर वेतन ही होली मनानी पड़ी।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Wed, 11 Mar 2020 09:01 AM (IST)Updated: Wed, 11 Mar 2020 09:01 AM (IST)
उत्तराखंड में कर्मचारियों की हड़ताल के चलते अटका रोडवेज कर्मियों का वेतन
उत्तराखंड में कर्मचारियों की हड़ताल के चलते अटका रोडवेज कर्मियों का वेतन

देहरादून, जेएनएन। होली से पहले वेतन की उम्मीद लगाए बैठे रोडवेज कर्मियों को बड़ा झटका लगा। शासन से जारी होने वाले 10 करोड़ रुपये हड़ताल के चलते रोडवेज को मिले ही नहीं। बताया जा रहा कि शासन में फाइल बनी हुई है, लेकिन जनरल-ओबीसी कर्मचारियों की हड़ताल से फाइल आगे ही नहीं बढ़ी। ऐसे में रोडवेज कर्मियों को बगैर वेतन ही होली मनानी पड़ी।  

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रोडवेज कर्मियों का वेतन जनवरी से लंबित चल रहा है। पिछले दिनों रोडवेज कर्मियों के आंदोलन को देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शासन को रोडवेज को दस-दस करोड़ की धनराशि दो बार देने के आदेश दिए थे। फरवरी में शासन ने एक किश्त तो जारी कर दी थी, जिससे कर्मियों को दिसंबर तक का वेतन उपलब्ध करा दिया गया, लेकिन अब दूसरी किश्त फंस गई है। 

मौजूदा समय में रोडवेज कर्मियों का जनवरी व फरवरी का वेतन लंबित हो गया है। रोडवेज मुख्यालय को उम्मीद थी कि दूसरी किश्त की धनराशि होली से पहले मिलने पर कर्मचारियों को जनवरी का वेतन भी जारी कर दिया जाएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ। 

सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में शासन में पत्रावली बनी हुई है, लेकिन जनरल-ओबीसी कर्मियों की गत दो मार्च से जारी हड़ताल के चलते पत्रावली आगे नहीं बढ़ सकी। ऐेसे में रोडवेजकर्मी होली पर भी बिना वेतन के काम करने को मजबूर हैं। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि अगर कर्मियों को जल्द वेतन नहीं मिला तो यूनियन कोई भी कदम उठा सकती है। 

चालक-परिचालकों को मिलेगा सेनेटाइजर

कोरोना के खौफ को देखते हुए रोडवेज के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने प्रदेश के सभी डिपो में चालक व परिचालकों को सेनेटाइजर उपलब्ध कराने के आदेश दे दिए हैं। इससे दो दिन पूर्व प्रबंध निदेशक ने इस संबंध में मॉस्क खरीदने के आदेश भी दिए थे। 

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प्रबंध निदेशक ने बताया कि लंबी दूरी की बसों में हर जगह से यात्री आते हैं और सीधे चालक-परिचालक के संपर्क में रहते हैं। ऐसे में कौन यात्री किस फ्लू से ग्रसित है, पहचाना नहीं जा सकता। परिचालकों के लिए ज्यादा खतरा इसलिए रहता है कि वह यात्रियों को टिकट देते हैं। इसलिए एजीएम को आदेश दिए गए हैं कि जल्द सेनेटाइजर खरीदकर चालक-परिचालकों को दिए जाएं ताकि वे अपनी सुरक्षा कर सकें।

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