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Makar Sankranti 2021: मंकर संक्रां‍ति में देव प्रयाग के संगम पर साधु संतों ने लगाई डुबकी

Makar Sankranti 2021 महाकुंभ 2021 के चलते मकर संक्रांति के पर्व पर तमाम षड्दर्शन साधु समाज व अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के संतो ने छड़ी पूजन कर देवप्रयाग के संगम पर डुबकी लगाई। जिनका देवप्रयाग पहुंचने पर स्वागत किया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 12:01 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 07:41 PM (IST)
Makar Sankranti 2021: मंकर संक्रां‍ति में देव प्रयाग के संगम पर साधु संतों ने लगाई डुबकी
मंकर संक्रां‍ति में देव प्रयाग के संगम पर साधु संतों ने लगाई डुबकी।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Makar Sankranti 2021 महाकुंभ 2021 के चलते मकर संक्रांति के पर्व पर तमाम षड्दर्शन साधु समाज व अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के संतो ने छड़ी पूजन कर देवप्रयाग के संगम पर डुबकी लगाई। जिनका देवप्रयाग पहुंचने पर उत्तराखंड के परंपरागत वाद्य यंत्रों के साथ स्थानीय जनता ने पुष्प वर्षा कर हर हर महादेव के उद्घोष के साथ स्वागत किया।

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षड्दर्शन साधु समाज व अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के आह्वान पर महानिर्वाणी आवाहन जूना, निरंजनी एवं षड्दर्शन साधु समाज के संतो ने देव प्रयाग के संगम पर डुबकी लगाई। मकर संक्रांति के पर्व को लेकर देवप्रयाग के पंडा समाज, चार धाम हक हकूक धारी, व्यापार सभा, श्री बद्रीश पंडा पंचायत, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त स्थानीय नागरिकों ने संत समाज का देवप्रयाग के संगम पर स्नान किए जाने को लेकर पिछले एक महीने से तैयारियां की जा रही थी।

हालांकि, मेला प्रशासन की ओर से अपर मेला अधिकारी ने फरवरी माह में पत्र जारी करके मकर संक्रांति पर देवप्रयाग संगम में और बसंत पंचमी पर ऋषिकेश त्रिवेणी घाट में पर्व स्नान की व्यवस्था के लिए पत्र जारी किया था। कुछ दिन पूर्व मेला प्रशासन ने एक और पत्र जारी कर पुराने पत्र में जारी व्यवस्थाओं को निरस्त करने की बात कही थी। संत समाज देवप्रयाग में मकर संक्रांति स्नान के लिए तमाम व्यवस्थाएं करने की घोषणा कर चुका था। आखिरी समय में प्रशासन की ओर से वहां तमाम व्यवस्था कर दी गई। 

जम्मू कश्मीर से पहुंचे जगतगुरु शंकराचार्य शारदा पीठ के स्वामी अनंतानंद ने कहा कि देवप्रयाग संगम पर स्नान किए जाने का पुराणों में भी माहतम बताया गया है। देवप्रयाग का संगम को भागीरथी और अलकनंदा का मिलन होने के कारण गंगा का उद्गम स्थल भी कहा जाता है। जिसके कारण इसे गंगाद्वार के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए यहां का स्नान मकर संक्रांति के दिन काफी महत्वपूर्ण है। इलाहाबाद से पहुंची जगतगुरु त्रिकाल भवनतिका ने कहा कि उत्तराखंड को देवभूमि के रूप में जाना जाता है। देवप्रयाग संगम को देवताओं के स्नान के लिए केदार खंड व स्कंद पुराण में तीर्थराज प्रयाग से सहस्त्र गुना अधिक स्नान का महत्व बताया गया है। 

षड्दर्शन साधु समाज के अखिल भारतीय राष्ट्रीय अध्यक्ष मंहत गोपाल गिरी, उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष व भगवान गिरी आश्रम ऋषिकेश के महंत भूपेंद्र गिरी, प्रदेश महामंत्री कपिल मुनि, कोषाध्यक्ष इंदर गिरी के नेतृत्व में संतो ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य का लाभ कमाया। सेठ दर्शन साधु समाज के अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी ने बताया कि इसी तरह अब यहां के संत बसंत पंचमी पर ऋषिकेश में पर्व स्नान करेंगे।

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