इन लेखकों से बेहद प्रभावित थे रस्किन बॉन्ड, जानिए
प्रसिद्ध लेखक रस्कि बॉन्ड की नर्इ किताब 'कन्फेशंस ऑफ ए बुक लवर' को लॉन्च किया गया हैै। इसमें रस्किन ने बचपन के अपने चहेते लेखकों के बारे में बताया है।
देहरादून, [जेएनएन]: जिन लेखकों की किताबें पढ़कर रस्किन बॉन्ड ने लेखनी को जीवन बना लिया, उनका जिक्र रस्किन ने अपनी नई किताब 'कन्फेशंस ऑफ ए बुक लवर' में किया है। इस किताब की लॉन्चिंग के अवसर पर रस्किन बॉन्ड ने बचपन के अपने चहेते लेखकों के बारे में बताया कि किस तरह उनके शब्द लिखने को प्रेरित करते थे।
राजपुर रोड स्थित नटराज बुक शॉप में उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजीव शर्मा और सेंट जोजफ्स एकेडमी (एसजेए) के प्रधानाचार्य ब्रदर बाबू वर्गीज ने 'कन्फेशंस ऑफ ए बुक लवर' को लॉन्च किया। इस अवसर पर एसजेए के छात्रों ने अपने प्रिय लेखक रस्किन बॉन्ड के ऑटोग्राफ लिए और उनसे लेखनी के टिप्स भी लिए। रस्किन ने अपने नन्हे प्रशंसकों से अपने लेखक बनने के सफर को साझा किया।
उन्होंने बताया कि जब वह उनकी उम्र के थे, तब टीएस एलियट और चार्ल्स डिकंस को पढ़ते थे। उनके शब्दों में कल्पना का सागर होता था और वह पढ़ते-पढ़ते खो जाते थे। धीरे-धीरे इन लेखकों को पढ़ते हुए उन्हें यह समझ आने लगा कि किस तरह अपनी कल्पना को शब्द दिए जा सकते हैं। फिर वो भी लिखने लगे और लेखक बन गए। एक बच्चे ने रस्किन से उनकी किताब 'टॉकिंग ट्री' पर सवाल किया।
उन्होंने पूछा कि किताब के प्रस्तावना में स्प्लेंडिड स्टोरी (शानदार कहानियां) लिखा गया है, जबकि किताब पढ़ने पर पता चला कि इसमें दुखभरी बातें भी हैं। क्या वह नहीं मानते कि इसमें सैड स्टोरी भी लिखना चाहिए था। जवाब में रस्किन ने 'हां' में सिर हिलाते हुए कहा कि यह सही बात है। इस दौरान नटराज बुक पब्लिशर्स के सीईओ उपेंद्र अरोड़ा भी मौजूद रहे।
सोना और लिखना पसंद है...
बच्चों ने रस्किन की पसंद को लेकर भी सवाल किए और जवाब मिला कि उन्हें खूब सोना और लिखना पसंद है। वह हर दिन कुछ न कुछ लिखते जरूर हैं। नींद इसलिए अच्छी आती है कि उनका मन साफ है।
उत्तराखंड का पांचवां धाम हैं रस्किन
कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड चारधाम के लिए जाना जाता है, जबकि यहां पांचवां धाम भी मौजूद है। उन्होंने रस्किन बॉन्ड को पांचवां धाम बताते हुए कहा कि जिस किसी को भी उत्तराखंड के धामों की यात्रा करनी हो। उसकी शुरुआत रस्किन बॉन्ड के दर्शन कर करनी चाहिए। ऐसा करने वाले व्यक्ति की यात्रा हर लिहाज से सफल होगी और उनका ज्ञान उत्तराखंड को लेकर और विस्तृत हो सकेगा।
वहीं, एसजेए के प्रधानाचार्य बाबू वर्गीज ने कहा कि रस्किन बॉन्ड जैसी शख्सियत का यहां होना हम सबके लिए गौरव की बात है। हर लिखने-पढ़ने का शौक रखने वाले व्यक्ति को उनसे जरूर मिलना चाहिए।
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